धर्म कोई भी हो, मजहब कोई भी हो, पंथ कोई भी हो, लेकिन सीख सबसे एक ही मिलती है, और वो सीख है खुद में एक अच्छे और सच्चे व्यक्तित्व का विकास करना। ऐसा व्यक्तित्व जो दूसरों के जीवन को आसान बनाने में कुछ मदद कर सके। जो दूसरों को कष्ट देने से पहले इस बात का अहसास कर ले कि अगर उसके साथ कोई इस तरह की बर्ताव करें तो कैसा लगे। वहीं इसके अलावा कर्मों को लेकर भी कई तरह की बातें धर्मग्रंथों में बताई और सिखाई जाती है। जिनमें से एक बात है सच्चाई। इस सच्चाई के पाठ को लेकर हमारे समाज में भी स्थानीय भाषा में कई तरह की लोककथाएं प्रचलित है। जैसे कि कहा जाता है झूठ बोलने से काला कौवा काट लेता है, झूठ के पांव नहीं होते, एक बार झूठ बोलने से सौ बार झूठ बोलना पड़ता है....ये सारी बातें सिर्फ एक बात को समझाते हुए कहीं जाती है कि झूठ नहीं बोलना चाहिए। लेकिन इसके बाद भी लोग जाने अनजाने में अपनी बातों को सही ठहराने के लिए अक्सर झूठ बोल देते है, लेकिन अगर मैं आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताऊं जहां कोई भी व्यक्ति चाह कर भी झूठ नहीं बोल पाएगा तो फिर आपका रिएक्शन कैसा हो,,,,,जी हां, ये है तो आश्चर्य करने वाली बात है लेकिन इसमें उतनी ही सच्चाई भी है। जहां अगर कोई झूठ एक बार झूठ बोल भी जाए तो उसको उल्टे पांव आकर सच बोलना ही पड़ता है, नहीं तो तब तक वह व्यक्ति सुकून से नहीं रह पाता है। आज हम आपको अपनी इस वीडियो में ऐसी ही एक जगह के बारे में बताएंगे जहां अगर झूठा से झूठा व्यक्ति भी सच बोलने के लिए मजबूर हो जाता है।
वैसे तो अक्सर ही सप्तपुरियों में से एक अयोध्या में से चमत्कार या अवाक कर देने वाली घटनाएं सामने आती ही रहती है लेकिन आज हम आपको अयोध्या की नगरी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जहां खड़े होकर झूठा से झूठा व्यक्ति भी सच बोलने को मजबूर हो जाता है। यहां सिर्फ सत्य की ही जय होती है। और ये शायद इसलिए भी है कि क्योंकि इस जगह का जुड़ाव उस व्यक्तित्व के साथ है जिसने अपना पूरा जीवन मर्यादा और सच्चाई में बिताया हो. जी हां आप बिल्कुल सही समझ रहे है, ये बात मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के लिए ही कही गई है। तो चलिए बताते है उस जगह के बारे में जहां झूठ बोलने वालों का भी ज्यादा दिन टिकना मुश्किल हो जाता है.
बता दें कि ये जगह है भगवान श्री राम के हर सुख-दुख में साए की तरह उनका साथ देने वाले लक्ष्मण जी का एक मंदिर जो सरयू नदी के किनारे बना है। इस मंदिर का नाम है लक्ष्मण किला। कहा जाता है कि इस मंदिर कुछ ऐसी दैवीय शक्तियां रहती है जो झूठ बोलने वाले व्यक्ति को ऐसा दंड देती है जो आखिर में उस व्यक्ति को न चाहते हुए भी सच्चाई बताने पर मजबूर कर देती है। अगर कोई व्यक्ति अपने अहम में आकर इस मंदिर में झूठ बोलता है तो फिर दैवीय शक्तियां उस व्यक्ति को परेशान करने लगती है, और जबतक वो व्यक्ति मंदरि में आकर सच्चाी बात का उजागर नहीं करता है उसका पीछा नहीं छोड़ती है। शायद यही कारण है कि इस मंदिर में आने वाले श्रृद्धालुओं में से उन लोगों की संख्या सबसे ज्यादा होती है जो लोग अपना विवाद आदि का निपटारा चाहते है। विवाद में शामिल लोग भगवान के सामने आते है और विवाद से जुड़ी सच्ची कसमें खाते है।अगर कोई भी व्यक्ति किसी विवाद में झूठी कसम खाता है, तो उसका झूठ ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाता है, मंदिर में ऐसी दैवीय शक्तियां हैं, जो किसी न किसी रूप में झूठ बोलने वाले को परेशान करती रहती है। और सच्चाई न चाहते हुए भी सामने आ ही जाती है। साथ ही उसे दंड भी मिलता है। यही एक वजह भी है कि लक्ष्मण किले में कोई व्यक्ति झूठ नहीं बोलता है।
बता दें कि इस मंदिर की पौराणिक मान्यता भी है। लक्ष्मण किला मंदिर वही जगह है जहां पर भगवान राम को अपने दिए वचन को उनके प्रिय भाई लक्ष्मण जी ने निभाया था। बता दें कि भगवान राम के अपने धाम में लौटने से पहले उन्होंने लक्ष्मण जी को एक आज्ञा दी थी और जिसके पूरा न होने की शर्त थी अपने प्राणों का त्याग। और अपने उसी वचन को निभाते हुए लक्ष्मण जी ने यहां अपना शरीर त्याग किया था और यहीं से अपने शेषनाग शरीर को धारण कर भगवान के पास उनके धाम में गए थे। बता दें कि इस मंदिर में लक्ष्मण जी के साथ उनके आराध्य और बड़े भाई मर्यादापुरुषोत्तम भाई श्री राम और भाभी माता सीता भी विराजित है।
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