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आसान नहीं है अबू धामी के हिंदू मंदिर में प्रवेश पाना, जाने वजह






भारत आस्थाओं को मानने वाला देश है। यही कारण है कि भारत की भूमि पर अलग अलग मजहब, धर्म, पंथ को मानने वाले लोगों का पूजा स्थल बने है। जहां कोई भी आस्थावान व्यक्ति अपनी आस्था के अनुसार जाकर भगवान की अराधना कर सकता है और उनसे जुड़ सकता है। और इसके साथ ही कुछ धार्मिक स्थल ऐसे भी है जहां पर प्रवेश करने के लिए कुछ नियम कानून है, अगर आप उन नियमों के तहत उस जगह पर जाएंगे तभी आपको एंट्री मिलेगी नहीं तो नहीं। जी हां, आज हम आपको ऐसे ही पूजा स्थल के बारे में बताने वाले है जिसकी भव्यता और दिव्यता तो मन को छू लेने वाली होती है लेकिन उस भव्य मंदिर के दर्शन के लिए अगर आप जाना चाहते है तो आपको उस मंदिर के ट्रस्ट की ओर से बनाए गए मंदिरों के नियमों का पालन करना होगा। 

कहते है कि अगर दीन दुनिया में रहना है तो वहां भी कुछ न कुछ नियमों का पालन करना होता है, इस आधार पर ही धार्मिक स्थलों पर पूजा पद्धतियों के नियम बनाए गए है। इन नियमों में वस्त्रों के नियमों, फोटोग्राफी के नियम, औऱ किन चीजों के लिए प्रतिबंध होगा इन सबके बारे में एक गाइड लाइन तैयार की गई है। 

तो बता दें कि हम बात कर रहे है साउदी अरब में बने पहले हिंदू मंदिर स्वमी नारायण मंदिर की। इस मंदिर का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 फरवरी को किया था। इसके बाद ये मंदिर 1 मार्च से सभी श्रृद्धालुओं के लिए खोल दिया गया था। लेकिन अगर आपका भी मन इस भव्य और दिव्य मंदिर के दर्शन की हो रही है तो यहां जाने से पहले मंदिर ट्रस्ट की ओर से बनाए गए गाइडलाइनों को जान लें ताकि आप बिना रोक टोक के मंदिर जाकर भगवान के दर्शन कर सके। बता दें कि अबू धाबी में बने स्वामी नारायण मंदिर की गाइडलाइन के मुताबिक आप टी शर्ट, टाइट फिटिंग, आपत्ति जनक डिजाइन वाले कपड़े पहनकर जाएंगे तो आपको मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा। इसके अलावा आपको गर्दन और कोहनी के बीच के शरीर के भाग को ढ़कने वाले कपड़े पहनकर आएंगे तभी आपको मंदिर में प्रवेश मिलेगा। इसके अलावा मंदिर के अंदर ड्रोन, बाहर का खाना और पालतू जानवरों को मंदिर के अंदर ले जाने की अनुमति नहीं है। अगर आप इन सभी नियमों का पालन करते है तभी आपको मंदिर परिसर में जाने की अनुमति मिलेगी। ध्यान देने वाली बात ये है स्वामीनारायण मंदिर ट्रस्ट की ओर से मंदिर परिसर में शांति का माहौल रखने की कोशिश की गई है। उनका मानना है कि अगर कोई मंदिर में प्रवेश करे तो सिर्फ और सिर्फ भगवान से ही जुड़े।  इसलिए जो भी इस शांति में खलल डालने की वस्तु या पशु है, उनके लिए मंदिर में प्रवेश बैन है।

गौरतलब है कि भारत में भी कई मंदिरों में भी परिधानों को लेकर विशेष नियम लागू है, जिन्हे दर्शन करने वाले श्रृद्धालु मानते है और विधिवत निभाते भी है। जैसे कि भगवान शंकर का विश्व प्रसिद्ध उज्जैन महाकाल का मंदिर जहां पर पूरुष और स्त्रियों के लिए प्रवेश के समय पारंपरिक परिधानों के साथ ही एंट्री मिलने का नियम है। इसके अलावा दक्षिण भारत के कई प्रसिद्ध मंदिर है जहां पुरूषों के लिए धोती कुर्ता और महिलाओं को साड़ी के साथही एंट्री मिलती है, नहीं तो एंट्री बैन है। इसके अलावा इस्लाम धर्म का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल मक्का जहां सालाना लाखों की संख्या में श्रृ्द्धालु हज के लिए जाते है, वहां पर भी पुरूषों के लिए धोती कुर्ता के साथ ही अंदर जाने की इजाजत मिलती है और महिलाओं को बुर्का पहनने पर।


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