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प्रेमानंद महाराज ने दिया भगवान के होने का प्रमाण!

प्रेमानंद महाराज

कानपुर। वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज के पास रोज हजारों की संख्या में भक्त उनसे मिलने के लिए लाइन लगाते है। उनमें से कुछ ही भाग्यशाली लोग होते है जिनको महाराज जी के साक्षात दर्शन करने के साथ साथ उनसे अपने मन के प्रश्नों को पूछने का अवसर मिल पाता है। महाराज जी से जब भी कोई भक्त जिज्ञासु मन से आध्यात्म मार्ग में चलने के लिए प्रश्न पूछता  है तो प्रेमानंद महाराज उसको अपने बच्चे के समान समझाते है और भगवान की ओर आगे बढ़ाते है। बता दें कि कुछ सवालों के जवाब महाराज जी तो दे देते है तो वहीं कुछ के जवाब महाराज जी व्यक्ति की शरणागति और गुरू वाक्यों में विश्वास के ऊपर छोड़ देते है। क्यूंकि उनका ये कहना होता है कि आध्यात्म मार्ग में भी भक्ति मार्ग एक गूढ़ मार्ग है जहां पहुंचने और उस बात का अनुभव करने के लिए पहले साधना करनी होती है। ऐसे ही हर किसी को भक्ति रस नहीं मिल जाता है। उससे पहले उस दिव्य रस को धारण करने के लिए पात्र बनना पड़ता है। ऐसा ही एक सवाल का जवाब महाराज जी ने एकांतिक वार्ता में पहुंचे एक शख्स को उत्तर देते हुए दिया। 

दरअसल एकांतिक वार्ता में पहुंचे एक श्रृद्धालु ने प्रेमानंद महाराज से पूछा कि भगवान है इस बात का क्या प्रमाण है, जिसका महाराज जी ने सहज भाव से उत्तर देते हुए कहा कि बाप के होने का प्रमाण कौन दे सकता है। कहीं भी जाओं इसका प्रमाण कोई नहीं दे सकता। उन्होंने आगे कहा कि हमारी बात को बहुत सूक्ष्मता से समझिएगा कि असली पिता कौन है, ये केवल मां ही जानती है और मुझे परिचय केवल मां ही दे सकती है। भगवान है इसका प्रमाण सद्गुरू रूपी मां से ही मिलता है। भगवान को अनुभव करने की बात कोई आम व्यक्ति जो प्रकृति के भोगों को अपनी इंद्रियों से भोग रहा है, वो कभी नहीं जान सकता। क्योकि सद्गुरू वो मां होती है जिसने भगवान को देखा होता है, उनको स्पर्श किया होता है, भगवत्प्राप्ति के बाद हर क्षण उनके साथ साक्षात भगवान रहते है। जैसे हम और आप आपस में बात करते है, ऐसे ही वास्तविक गुरू और भगवान आपस में बातचीत करते है, हंसी मजाक करते है। और जब गुरू अपने शरणागत को भगवान से मिलने का मार्ग बताता है और साधना कराता है तभी संसारी मनुष्य भी भगवान का थोड़ा बहुत अनुभव कर पाता है। अगर तुम्हें भगवान के होने का प्रमाण चाहिए तो साधना करों, क्यूंकि भगवान को तर्क से नहीं साधना से समझा जा सकता है। धर्म आचरण करो, पवित्र भोजन करो और जो हम तुम्हें नाम बताएं, जितनी संख्या में बताएं, उतनी संख्या में नाम जप करों। अगर भगवान का अनुभव करना है तो शुद्ध व्यवहार, शुद्ध आहार, नाम जप और किसी असहाय की मदद करों। भगवान कोई बौद्धिक वस्तु नहीं संपूर्ण ब्रंह्माड में सब के साथ बुद्धि है और उस बुद्धि का विधान करने वाला ब्रह्म है। 

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