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राम मंदिर में घुसा मुस्लिमों का झुण्ड, प्रशासन के फूले हाथ-पांव, घुसते ही किया सबसे पहले ये काम....



कानपुर। भारतीय संस्कृति औऱ भारतीयों ने अपने  इतिहास में गुलामी के कई दंश झेले है.कई लड़ाइयां लड़ी है। इन लड़ाइयों में अपने परिवार जनों को खोया है तो कितने ही लोगों का समूचा परिवार ही खत्म हो गया. लेकिन शौर्य गाथाए ऐसी ही तो नहीं लिखी जाती है। कहा जाता है हर जीत की कीमत होती है। औऱ अगर दो पक्षों में युद्ध हो तो एक पक्ष की हार और दूसरे की जीत होती है। लेकिन इस दौरान कीमत तो दोनो पक्षों को जान-माल की चुकानी ही पड़ती है। ऐसी ही कुछ कीमतें भारतवंशियों ने इतिहास में चुकाई है। कई गुलामी की जंजीरो को तोड़कर आगे बढ़ना ही भारत की शौर्य गाथाओं में पढ़ने और सुनने को मिलता है। 


ऐसी ही शौर्यगाथा लिखी जाएगी जब आने वाली पीढ़ियां राम मंदिर के बारे में बातें करेंगी। राम मंदिर भारतीयों का गौरव शिखर है। हजारों  भारतीयों ने  राम मंदिर के लिए बलिदान दिये है, लेकिन ये बलिदान तब सार्थक हो गए जब 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर का फैसला सुनाया। और ये माना कि यहीं रामजन्मभूमि है। इसके बाद से सैकड़ों सालों से किया गया संघर्ष सार्थक हो गया। इसके बाद हिंदुओं के जीवन में आखिरकर वो दिन आया जब रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो गए। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही पूरा देश राममय हो गया था। देश का कोना कोना राम धुन में झूम रहा था। 22 जनवरी वाले दिन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद, रामलला के पहले दर्शन से सभी रामभक्तों की आंखे नम हो गई। 

इसके बाद क्या था तब का दिन है और आज का दिन राम मंदिर में आने वालों का तांता लगा है। राम भक्तों की रामलला के दर्शन को इतनी भीड़ उमड़ पड़ी कि पुलिस प्रशासन के पसीने छूट गएऔर जब रामभक्तों की भारी भीड़ से व्यवस्था चरमराई तो खुद मुख्यमंत्री योगी ने इसका पूरा भार अपने कंधे पर उठाया। औऱ अब तक करीब 11 दिन में 15 लाख से अधिक रामभक्त दर्शन कर चुके है। अब जब बात रामभक्त की हो रही है तो इसमेे सिर्फ हिंदू धर्म के ही लोग शामिल नहीं है। कई मुस्लिम भी खूुद को रामभक्त कहकर रामलला के दर्शन करने आ रहे है। दरअसल उनका कहना है कि श्री राम किसी एक धर्म के नहीं है। श्री राम देश के है और वे हमारे पूर्वज है। इस नाते हम भी अपने राम जी के दर्शन के लिए आए है। 

इसी बीच लखनऊ से अयोध्या के बीच के लगभग 150 किलोमीटर की यात्रा को 6 दिन में राजा रईस और शेर अली खान के साथ 350 मुस्लिम श्रृद्धालुओं नें तय की है। और अयोध्या पहुंचकर रामलाला के दर्शन किए।बता दें कि मुस्लिम श्रृद्धालुओं का ये जत्था हर 25 किलोमीटर के बाद यात्रा एक पूर्व निर्धारित स्थान पर रात्रि विश्राम के लिए रुकती थी और फिर अगली सुबह निकल पड़ती थी।इस तरह छह दिनों के अथक परिश्रम के बाद फटे जूते, जख्मी और छालों से भरे पैरों के साथ श्रद्धालुओं ने आखिरकार श्रीराम को पा लिया, उनके विग्रह का दर्शन कर ही लिए। जत्थे के प्रमुख ने कहा कि इमाम ए हिंद श्रीराम के दर्शन का यह पल उनके पूरे जीवनकाल के लिए सुखद स्मृति के रूप में रहेगा। राम हम सभी के पूर्वज थे, हैं और रहेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा मुल्क, हमारी सभ्यता, हमारा संविधान नहीं सिखाता है आपस में बैर रखना। अगर कोई अलग धर्म का इंसान किसी अलग धर्म के इबादतगाह या पूजास्थल पर चला जाए, तो इसका मतलब यह कतई नहीं मानना चाहिए कि उसने खुद का धर्म छोड़ कर अन्य  मजहब को अपना लिया है। रामलला के दर्शन के बाद  मुस्लिम श्रद्धालुओं ने महंत नृत्यगोपालदास महाराज से उनके आश्रम पर जाकर भी उनका आशीर्वाद लिया।



  

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