Ticker

6/recent/ticker-posts

प्रेमानंद महाराज ने बताया आखिर क्यूं हो रहे रामलला की मूर्ति में चमत्कार


वृंदावन वाले प्रेमानंद जी महाराज को आज के समय में शायद ही कोई हो जो नहीं जानता होगा....महाराज जी के भक्त पूरी दुनिया में बड़ी संख्या में हैं. इनके प्रवचन सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. महराज जी वेद, शास्त्रों के गूढ़ ज्ञान को इतनी आसानी से समझा देते है कि छोटे  से बच्चे से लेकर वयोवृद्ध व्यक्ति के  दिमाग में अध्यात्म की बाते आसानी से समझ में आ जाती है। सोशल मीडिया पर भी महाराज जी के लाखों में फॉलोअर्स हैं.  जो उनकी कही हुई बातों को मानते है।महाराज जी सत्संग के जरिए कई लोगों को मार्गदर्शन करते हैं. 

22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी जिसके बाद सोशल मीडिया पर महाराज जी की वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक भक्त ने काफी अच्छा सवाल पूछा है और महाराज जी ने भी बहुत सुंदर तरीके से इस सवाल का जवाब दिया है.



जब भक्त ने पूछा कि  प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला की मूर्ति सजीवकैसे हुई ?इस पर महाराज जी ने जवाब दिया कि मूर्ति की  सजीवता के पीछे का कारण हैं महापुरुषों के मंत्र और भक्तों के भाव. इन दोनों में बहुत सामर्थ्य होता है. राम जी की मूर्ति के साथ एक दो भक्त नहीं बल्कि असंख्य भक्तों के भाव जुड़े हुए हैं. दशरथनंदन वहां पहले से थे लेकिन मंत्र और भाव से प्राण प्रतिष्ठा के बाद विग्रह में राम जी प्रकाशित हो गए, तुलसीदास जी ने स्वयं कहा है कि प्रभु व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम ते प्रकट होई मै जाना. महाराज जी ने बताया कि भगवान तो सभी जगह रहते है लेकिन भगवान प्रकट रूप में तभी दिखाई पड़ते है जब भक्त प्रेम भाव से उनको  पुकारता है। उदाहरण देते हुए महाराज जी ने समझाया कि जब प्रहलाद के पिता हिरण्यकशिपु ने पूछा था कि ये बता कहां तेरा हरि, मेरे सामने क्यों नहीं आता, तब प्रहलाद ने उत्तर दिया था कि पिता जी हरि तो कण कण में रहते है। इसके बाद हिरण्यकशिपु ने गुस्से में अपना गदा हुआ और खंभे की ओर देखते हुए बोला कि क्या इस खंभे में भी रहता है तेरा हरि, इस प्रहलाद ने उत्तर दिया, हां, पिताजी इस खंभे में भी हरि है। प्रहलाद के जवाब से तिलमिलाया हिरण्यकशिपु ने खंभे को गदा मारकर तोड़ना चाहा तो इतने में भगवान नरसिंह रुप में खंभे से ही प्रकट हो गए। और हिरण्यकशिपु से कहा ले देख, मैं आ गया है। प्रहलाद सही कह  रहा है कि मैं हर जगह रहता हूं। तो जब भगवान के भक्त उन्हें प्रेम से बुलाते है तो वे आ ही जाते है। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है.  



 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ