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यूपी में लोकतंत्र का चीरहरण!

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की ब्लाक प्रमुख प्रत्याशी ऋतु सिंह रुपी द्रोपदी का भाजपाई गुंडों रूपी दुस्सासन ने चीर हरण किया। 

क्या है पूरा मामला
    अनीता यादव की साड़ी खींचते बीजेपी कार्यकर्ता

लखीमपुर खीरी की अनीता यादव ब्लॉक प्रमुख उम्मीदवार ऋतु सिंह की प्रस्तावक है जब वे नामांकन का पर्चा दाखिल करने के लिए कार्यालय जा रही थी तब भाजपाई गुंडे जो अपने विरोधियों को नामांकन दाखिल नहीं करने दे रहे थे, उन्होंने अनीता यादव को रोकने के लिए उनकी साड़ी को बीच सड़क में खींचा और नग्न करने का प्रयास किया। अनीता स्वयं को अपने सहयोगियों की मदद से बचा पाने में कामयाब रहीं लेकिन वही गुंडे जिन्हे शायद चुनाव में ऋतु सिंह ने छठी का दूध याद दिला दिया होगा, ऋतु सिंह का चीरहरण करने में कामयाब हो गए।
   ऋतु सिंह को चीरहरण से बचाती पुलिस


    ऋतु सिंह की अर्द्धनग्न अवस्था 

प्रस्तावक अनीता यादव और प्रत्याशी ऋतु सिंह के साथ यह घटना तब की गई जब वहां पर पुलिस मौजूद थी लेकिन गुंडई खुलेआम चल रही थी। किसी भी अधिकारी ने कोई एक्शन नहीं लिया।ऐसा लगता है यूपी पुलिस चुनावों के समय हाथों में मेहंदी लगा लेती है तभी तो उन बीजेपी के गुंडों पर न ही लाठीचार्ज की गई और ना ही कोई कंप्लेंट लिखी गई। हालांकि सोशल मीडिया में यूपी शासन व प्रशासन कीभद पिटने के कंप्लेंट लिखी गई।


उत्तर प्रदेश में ब्लाक प्रमुख के चुनाव की स्थिति

राज्य में ब्लॉक प्रमुख चुनाव नामांकन की प्रक्रिया गुरुवार 8 जुलाई को संपन्न हुई चुनाव की प्रक्रिया के वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहे हैं।

 वजह है 75 जिलो में  हुई  चुनावी प्रक्रिया में 15 से ज्यादा जिलों में कहीं गोली चली तो कहीं बम। लखीमपुर में तो महिलाओं का चीर हरण तक कर दिया गया।
 इसके अलावा कई जगह मारपीट की हिंसक घटनाएं भी सामने आए हैं। और पुलिस इन सब हिंसात्मक घटनाओं को मूकदर्शक बनी देखती रही। मानों जिला पंचायत के चुनाव में हार से बौखलाए बीजेपी कार्यकर्ताओं को गुंडई करने का लाइसेंस दे दिया हो। लोकतंत्र की सारी मर्यादाओं को इस चुनाव ने तार-तार कर दिया।

 "द वायर" से बातचीत में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त  एस वाई कुरैशी ने कहा कि हिंसा की ऐसी घटनाएं इससे पहले 90 के दशक में यूपी बिहार और बंगाल से सामने आती थीं। लेकिन उसके बाद चुनाव आयुक्त सशक्त हुआ और चुनावों में ऐसा दौर आया कि यूपी, बिहार और बंगाल से चुनावों में हिंसा की घटनाएं ना के बराबर हो गई। शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव संपन्न होने लगे। लेकिन जो यूपी में ब्लॉक प्रमुख चुनाव में हिंसा हुई है वह लोकतंत्र के माथे पर कलंक है। ऐसी घटनाएं शर्मनाक है।
 प्रश्न यह उठता है 
 यही डीएम व अन्य पुलिस अधिकारी देश के आम चुनावों को शांतिपूर्ण ढंग से करा लेते हैं तो इनको ब्लाक प्रमुख चुनावों में क्या हो गयाा? और जब पुलिस प्रशासन ब्लॉक स्तर के चुनावों में हिंसा को रोकने में नाकामयाब रहा तो 8 महीने बाद विधानसभा के चुनावों को शांतिपूर्ण ढंग से कैसे संपर्क करा पाएगा ?


कुछ जिलों में हिंसा का सूरत–ए–हाल

• लखीमपुर के पलिया ब्लाक में कांग्रेस प्रत्याशी और प्रस्तावक को तो पुलिस की ठीक नाक के नीचे से आरोप है कि बीजेपी के समर्थक खींचकर ले जाने लगते हैं पुलिस इसके बाद लाठी फटकाती है और दौड़ाती है लेकिन किसी को भी पकड़ती नहीं है। उपद्रवी भाग जाते हैं।
• ललितपुर में जैसे ही विरोधी दल का व्यक्ति नामांकन करने को आगे बढ़ता है। नामांकन से रोकने की कोशिशें की जाती है। निर्दलीय प्रत्याशी का पर्चा छीनने का आरोप बीजेपी समर्थक समर्थकों पर लगता है।

हालांकि पुलिस के अवसर दलील देते हैं कि सुरक्षा व्यवस्था सख्त पुलिस दोषियों पर कार्रवाई करेगी।
 
ऐसे ही हालात कमोबेश सिद्धार्थ नगर, गोरखपुर, एटा, महाराजगंज समेत कई जिलों में नजर आते हैं।


देश में महिला नेताओं की स्थिति

     विस्तार के बाद नए मंत्रिमंडल में शामिल महिलाएं

• देश में स्मृति ईरानी,मीनाक्षी लेखी, मेनका गांधी जैसी महिलाओं के सम्मान की प्रखर वक्ता सहित 11 केंद्रीय महिला मंत्री
• स्वाति सिंह (जिनका स्वयं राजनीति में पदार्पण अपने और अपने परिवार की महिलाओं के अपमान की लड़ाई लड़ने के बाद हुआ था) सहित चार यूपी की महिला मंत्री 

11 महिला सांसद तथा यूपी की 40 महिला विधायकों और इन सब में प्रमुख यूपी की महिला राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के साथ देश और राज्यों के अलग–अलग महिलाओं के सम्मान की रक्षा के लिए,महिला आयोग भी है।
लेकिन सब के सब इस चीरहरण की घटना के बाद गांधारी बन चुके है जिन्होंने दिखने के बाद भी आंखों में पट्टी इसलिए बांधी है क्योंकि ध्रतराष्ट्र( योगी और मोदी) को ऐसी घटनाए शायद नही दिख रही।

किसी को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है किसी के मुंह से सरेआम महिला के दामन से खिलवाड़ किए जाने पर चूं तक नहीं हुई। शायद इसीलिए क्योंकि आपसे राजनीति में जूनियर यह महिला आपकी विरोधी पार्टी से है।

चुनावों में सरगर्मी होना जायज है लेकिन किसी भी चुनाव में किसी भी महिला के दामन के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किसी को भी नहीं है। श्री राम का "राम राज" ऐसा तो नहीं था हां! अगर योगी और मोदी के रामराज की यह परिभाषा हो तो कुछ बता नहीं सकते।

बीजेपी कार्यकताओं ने किया पत्रकार पर हमला

@ABP Ganga के संवाददाता नित्य मिश्रा पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने हमला बोल दिया उनका कसूर यह था कि वे उन गुंडों की ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे थे।<

 आखिर यूपी पुलिस इन सब पर कार्रवाई कब करेगी?

देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जो खुद को महिलाओं के उत्थान का समर्थक होने का दावा करते हैं और राज्य के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जो महिलाओं को देवी की तरह पूजते हैं। हर नवरात्रि में कन्या भोज की खबरें आप सब ने टीवी पर जरूर देखी होगी। दोनों ही चीरहरण मामले में बिल्कुल चुप है।
आशा करती हूं कि आप धृतराष्ट्र की संज्ञा नहीं लेंगे और इस चीरहरण का संज्ञान लेते हुए महिला सुरक्षा में कड़ा एक्शन लेंगे।

ट्वीट्स

पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने योगी आदित्यनाथ पर हमला बोला है उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि

 "महिला की साड़ी खींचने वालों अपनी गंदी जुबान से आज के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम का नाम मत लेना।"< पत्रकार बृजेेश मिश्रा ने कहा

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