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22 हजार अतिरिक्त पदों को भी शामिल करे सरकार: शिक्षक अभ्यर्थी

उत्तर प्रदेश में शिक्षक परीक्षा को पास किए हुए अभ्यर्थी और बेरोजगार एक-दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। लेकिन फिर भी आप उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से बेरोजगारी के मुद्दे पर सवाल नहीं पूछ सकते और ना ही धरना दे सकते हैं।अगर आप दोनों में से कोई एक काम भी करते हैं तो पुलिस और पुलिस की लाठी से सामना हो ना पक्का है। जिससे धरना देने वाले शिक्षक अभ्यर्थी अभी सामना कर रहे हैं।
 मामला यह है कि एक बार फिर शिक्षक अभ्यर्थी धरने पर बैठ गए हैं और यह धरना लखनऊ के कालिदास मार्ग में 21 जून से चल रहा है। लगभग 14 दिन होने को आए हैं लेकिन अभी तक ना ही किसी पुलिस अधिकारी ने और ना ही योगी सरकार के किसी नुमाइंदे ने उनकी कोई सुध ली है। हां लेकिन समय-समय पर पुलिस के डंडे  उनकी सुध लेना नहीं भूलते।
 आंदोलनकारियों की दो मांगे है पहली की 22000 अतिरिक्त पदों को 69000 वाले पदों में जोड़ दिया जाए। और दूसरी यह कि जो आरक्षित सीटों में घपला किया गया है उसकी जांच करके उसमें सही उम्मीदवारों को नियुक्ति दी जाए।
 इसको समझने के लिए फ्लैशबैक में चलना पड़ेगा
 उत्तर प्रदेश में कुल 1,37,000 सीटों पर शिक्षकों की भर्ती की जानी थी। जिसे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने दो भागों में निकाला।
 पहला भाग  2018 में  68,500 भर्तियां और 
 दूसरा भाग 2019 में  69,000 भर्तियों के रूप में।

68500 भर्तियों में से 22000 पदों को खाली छोड़ दिया गया था। और 69000 वाले अभ्यर्थी हाईकोर्ट की सिंगल बेंच,डबल बेंच से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचकर भी मात्र 31,661 सीटों पर ही भर्तियां पा पाए। बाकी की 37,339 पदों को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों के लिए संरक्षित कर दिया था। 
 आंदोलनकारियों की मांग है 
 कि जो 22000 पद खाली छोड़ दिए गए थे उनको 69000 भर्तियों के साथ जोड़कर योग्य उम्मीदवारों को नौकरी दी जाए।
 
 दूसरी मांग है आरक्षित सीटों को लेकर 


जिस पर अभ्यर्थियों का कहना है कि OBC उम्मीदवारों को 27 फीसदी सीटों पर आरक्षण मिलता है लेकिन इस बार मात्र 4 फीसदी सीटों पर ही नियुक्तियां की गई। यानी 18,598 सीटों के बजाय 2,664 सीटों पर ही उम्मीदवारों की नियुक्ति हुई।
 और जहां SC/ST को 21 फीसदी आरक्षण मिलता है वहां उनकी 16 फीसद सीटों पर ही नियुक्तियां हुई।अभ्यर्थियों का आरोप है कि रिजर्व सीटों को सामान्य वर्ग में जोड़ दिया गया है।और जब वे इस विषय को लेकर अधिकारियों के पास जाते हैं तो अधिकारी किसी संस्था का आर्डर दिखाने को कहते हैं। लेकिन राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के ऑर्डर आने के बाद अधिकारी बात तक करने को तैयार नहीं होते हैं।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी माना है कि 5,844 पदों पर घपला हुआ है। इसके लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार को 15 दिन का समय देकर जवाब मांगा था। एक महीने से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
 अभ्यर्थियों का यह भी कहना है कि हर बार आश्वासन का लॉलीपॉप थमा कर सरकार हम आंदोलनकारियों को घर भेज देती है, जिसका बाद में कोई परिणाम देखने को नहीं मिलता है। लेकिन इस बार हम आंदोलन तभी खत्म करेंगे जब सरकार हमें लिखित में आश्वासन देगी।


Sulakshana Dubey
CSJMU
MJMC–2nd Semester

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1 टिप्पणियाँ

  1. सरकार या न्यायालय का इस तरह 69000 वेकेंसी में सीटो को आरक्षित करना न्यायोचित नहीं हैं क्योंकि भर्ती के नोटिफिकेशन में ऐसा कुछ भी वर्णन नहीं था। और भर्ती प्रक्रिया की पूरी जानकारी सरकार को भर्ती पूर्व विज्ञापन में स्पष्ट करनी चाहिए।

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