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दर्शन करने आए ब्रजवासियों ने प्रेमानंद महाराज को सुना डाली ऐसी सजा, हंसते- हंसते लोटपोट हुए महाराज जी

 


मथुरा-वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज को आज देश-दुनिया में हर कोई जानता है. प्रेमानंद जी महाराज की कथाएं, उनकी बातें और उनका सत्‍संग लाखों लोग सुनते हैं और उन्‍हें मानते हैं. श्री राधा रानी के परम भक्‍त और वृंदावन के सबसे चर्चित इस संत के प्रवचनों को सुनने के लिए बड़े-बड़े अभिनेता, नेता, खिलाड़ी पहुंचते हैं. राधा-कृष्‍ण की भक्‍ति में लगे प्रेमानंद महाराज के पास हर द‍िन कई ज‍िज्ञासू लोग अपने सवालों को लेकर जाते हैं. लेकिन हाल ही में कुछ ब्रजवास‍ियों की टोली उनसे म‍िलने पहुंची, ज‍िसने प्रेमानंद महाराज से कुछ ऐसी बातें कि ज‍िससे शायद ही इससे पहले क‍िसी और उनसे क‍िया होगाा. एक ब्रजवासी ने तो प्रेमानंद जी को आजीवन की सजा ही सुना दी है.

दरअसल प्रेमानंद महाराज के सामने अक्‍सर कई भक्‍त अपने सवाल पूछते हैं. एक ताजा वीड‍ियो में महाराज जी से म‍िलने ब्रजवासियों की एक टोली पहुंची. इस टोली ने बाबाजी के सामने पहले जयकारा लगाया, ‘बोलो वृषभान के जमाई की जय.’ फ‍िर इस टोली में से एक सदस्‍य बोला, ‘बाबा सबन कू तुम कछु न कछु देते रहो, पर हमारी तो एकई इच्‍छा है. (बाबा आप सभी को कुछ न कुछ देते हैं, पर हमारी एक ही इच्‍छा है.) आखिरी सांस तक राधा-राधा रटें, ऐसी कोई सजा दे दो.’ ब्रजवासियों की ये बात सुन प्रेमानंद महाराज अभ‍िभूत हो गए.


पूज्‍यश्री प्रेमानंद महाराज ये सुन ही रहे थे कि उनमें से एक दूसरा व्‍यक्‍ति बोला, ‘हमने दे तो दई बाबाजी ए सजा, ई रटेगो राधा-राधा. (हमने दे तो दी बाबा जी को सजा, ये रटेंगे राधा-राधा.) बस ये सुनना था कि प्रेमानंद महाराज जोर-जोर से ठहाका लगाकर हंसने लगे. फ‍िर वही शख्‍स कहता है, ‘हमे नाए काई देवी-देवता से कोई काम. बोलो वृषभान के जमाई की जय. ई बाबाजीन को काम है, हमते न होगो, हम गृहस्‍थ ठहरे. या जैसे बाबाजी बने राधा-राधा रटवे कू. (ये बाबाजी का काम है, हमसे नहीं होगा. हम गृहस्‍थ ठहरे. इनके जैसे बाबाजी बने हैं राधा-राधा नाम रटने के ल‍िए.)






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