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हनुमान जी को क्यों चीरना पड़ा था अपना सीना...


कलयुग के भगवान  औऱ श्री राम के परम भक्त हनुमान अति बलशाली हैं. उनकी राम भक्ति की कई पौराणिक कथाएं हैं. इन कथाओं के अनुसार एक बार भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद .माता सीता ने रत्नजड़ित एक बेश कीमती माला हनुमान जी को दी. उस माला को लेकर हनुमान जी थोड़ी दूरी पर गए और उसे अपने दांतों से तोड़ते हुए बड़ी गौर से माल के मोती को देखने लगे. इसके बाद सभी मोतियों को तोड़कर फेंकने लगे. उन्हें देख दरबार में उपस्थित सभी लोग दंग रह गए। हनुमान जी के इस कृत पर लक्ष्मण जी को बड़ा क्रोध आया उन्होंने प्रभु राम से कहा कि हे भगवन् हनुमान ने माता सीता द्वारा दी गई माला को तोड़कर फेंक दिया, उन्हें रत्न की माला की कीमत का कोई अंदाजा भी है?  फिर भगवान राम ने लक्ष्मण से कहा कि इसका उत्तर हनुमान से ही मिलेगा। तब राम भक्त हनुमान ने कहा कि मेरे लिए हर वह वस्तु व्यर्थ जिसमें मेरे प्रभु राम का नाम ना हो,यह बात सुनकर लक्ष्मण बोले कि आपके शरीर पर भी तो राम का नाम नहीं है तो शरीर को क्यों रखा है इस शरीर को भी त्याग दो, तब हनुमान जी ने अपना सीना चीर कर सभी को सीता राम के दर्शन कराएं थे।

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