कानपुर।जब से अयोध्या के राम मंदिर में रामलला विराजमान हुए है तब से हर कोई किसी न किसी वजह से आध्यात्मिक चेतना को महसूस कर रहा है।ऐसी ही आध्यात्मिक चेतना को और मजबूत करने के लिए एक और चमत्कार हुआ। इस चमत्कार को देखकर सभी हैरान है। इस एक घटना ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या राम मंदिर का फैसला आना, मंदिर का निर्माण, रामलला की मूर्ति का इस रूप में बनना, मूर्ति को बनते देखने के लिए रोज एक बंदर का आना, क्या ये सब पहले से निर्धारित था....कारण जो भी हो, ये सब होना कोई संयोग तो नहीं हो सकता है। और अगर इतने सारे संयोग एक साथ मान भी लिए जाए तो इस बात को मानने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि इसमें भी भगवान का ही चमत्कार है।
दरअसल बात है कर्नाटक के रायचूर जिले की। यहां एक गांव में कृष्णा नदी से भगवान विष्णु की चतुर्भुजी प्रतिमा मिली है। भगवान विष्णु की ये प्रतिमा करीब हजार साल पुरानी बताई जा रही है। इसकी खास बात ये है कि ये प्रतिमा बिल्कुल वैसी ही है जैसी कि नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कर विराजी गई है। बता दें कि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्रतिमा स्थापित की गई है। नदी से निकली भगवान विष्णु की प्रतिमा के प्रभामंडल के चारों ओर ‘दशावतारों’ को उकेरा गया है। प्रतिमा पर मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिम्हा, वामन, राम, परशुराम, कृष्ण, बुद्ध और कल्की अलंकृत हैं। विष्णु जी की प्रतिमा के चार हाथ हैं, जिसमें दो ऊपर उठे हाथ शंख और चक्र से सुसज्जित हैं। नीचे की ओर सीधे किए दो हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में हैं। इनमें एक ‘कटि हस्त’ और दूसरा ‘वरद हस्त’ है। बता दें कि रामलला की प्रतिमा को मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया था। इसके बाद नदी से निकली हजारों साल पुरानी विष्णु प्रतिमा का रामलला की प्रतिमा से इतनी सारी समानताए होना, किसी चमत्कार से कम नहीं है।
पुरातत्ववेत्ताओं ने बताया कि विष्णु प्रतिमा लगभग 11वीं या 12वीं शताब्दी की हो सकती है। हालांकि व्याख्यानकर्ताओं का कहना है कि ये मूर्ति वेदों में वर्णित वेंकटेश्वर से मिलती जुलती है।हालांकि इस मूर्ति में गरूड़ का अभाव है जो आमतौर पर भगवान विष्णु की मूर्तियों में देखा जाता है।बल्कि पंखा थामे महिलाओं का एक जोड़ा नजर आ रहा है, चूंकि विष्णु को साज सज्जा का शौक है, इसलिए मुस्कुराते हुए विष्णु की यह मूर्ति मालाओ औरआभूषणों से सुसज्जित है।
बता दें कि भगवान विष्णु के इस विग्रह के साथ ही एक प्राचीन शिवलिंग भी मिला है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रतिमा एक मंदिर के गर्भगृह का हिस्सा रही होगी। या ऐसा भी हो सकता है कि इसे मंदिर में हुई तोड़फोड़ से बचाने के लिए नदी में डाला गया होगा। इस प्रतिमा को थोड़ी क्षति पहुंची है। विग्रह की नाक थोड़ी क्षतिग्रस्त है।
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