कानपुर। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पहले और बाद के अयोध्या से आने वाले वीडियोज लोगों के बीच खासा पसंद किए जाते है। ये वीडियोज चाहे रामलला के लिए भक्तों की ओर से भेजे गए उपहार की हो, अयोध्या में अचानक से आने वाले गिद्धों के झुंड का हो या रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर परिसर में दर्शन करने वाले एक बंदर का। देश की राम के प्रति भावना इस कदर है कि अगर कोई अयोध्या से रामलला के दर्शन करके लौट रहा है तो किसी कारण वश अयोध्या न जाने वाले श्रृद्धालु उन्हीं को प्रणाम करके तीर्थ का फल प्राप्त करे ले रहे है। और यदि कहीं से भी किसी को राम मंदिर के प्रसाद का छोटा सा भाग मिल जा रहा है तो वो इसी में अपने जीवन को धन्य समझ रहा है। ये भाव है भारत के आम जनमानस के अपने आराध्य राम के प्रति।
अब ये तो बात हुई राम जी की। अब जहां राम जी का जिक्र आता है तो फिर तो ये पौराणिक और ऐतिहासिक स्वीकृति के साथ कही गई बात है कि वहां रामभक्त हनुमान जी का जिक्र करना ही पड़ता है। और आज हम अयोध्या की जिस वीडियों के बारे में आगे आपको बताने जा रहे है, वो भी भक्त शिरोमणि प्रभु हनुमान जी से ही जुड़ा है।
पहली बात तो इस वीडियो से जुड़ी ये बता दें कि जिस थाने में बंदर आकर रोज बैठता है, उसके अंडर में ही भगवान राम का नवनिर्मित मंदिर आता है। इसलिए श्री राम मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी भी इसी थाने के ऊपर आती है। बता दें कि अयोध्या के राजा वैसे तो श्री राम है लेकिन अयोध्यावासी राम जी की अनुपस्थिति में हनुमान जी को ही राजा मानते है। ऐसी मान्यता के पीछे की वजह खुद राम जी ही है। क्योंकि जब त्रेता युग में भगवान अपने साकेत धाम जा रहे थे तो उन्होंने ही हनुमान जी को अयोध्या की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा था। और उनसे ये वचन लिया था कि वे अयोध्यावासियों की सेवा इस तरह करेंगे जैसे कि एक राजा अपनी प्रजा की करता है। तब से अयोध्या और अयोध्यावासियों की जिम्मेदाकरी हनुमान जी ही संभाल रहे है।
जानकारी के लिए बता दें कि ये कोई मिथक या काल्पनिक बातें नहीं है, खुद अयोध्या वासी भी कई बार अयोध्या भी हनुमान जी के होने का एहसास कर चुके है। बता दें बाबरी ढ़ाचे और श्री राम जन्मभूमि विवाद को लेकर अयोध्या हमेशा से ही आतंकियों के निशाने पर रही है। वे किसी न किसी तरह से अयोध्या, वहां के लोगों और बने भगवान के मंदिरों को नुकसान पहुचाने की साजिशे रचते आए है। लेकिन कभी भी वे अपने मनसूबों में सफल नहीं हो पाए है क्योंकि हमेशा ही बंदरों ने आकर उन आतंकियों की साजिश पर पानी फेर दिया।
जी हां, ये कोई काल्पनिक नहीं बल्कि सच्ची घटनाएं है। बता दें कि हनुमानगढ़ी में कुकर बम की जानकारी उस समय हुई थी, जब एक बंदर उसे लेकर भागा था. और जब तक वो कुकर मंदिर परिसर में रहा बंदर उसे पकड़े बैठा रहा और जैसे ही बम डिफ्यूज करने वाली टीम पहुंची वैसे ही बंदर कुकर छोड़ कर चला गया। इसके अलावा हनुमानगढ़ी में एक बार आतंकियो ने टाइम बम लगा दिया था जिसे खोजने के लिए टीम को बहुत जद्दोजहद करनी पड़ रही थी तो मंदिर के पुजारियों द्वारा हनुमान जी से प्रार्थना की गई तब जाकर बंदर भेष में आए हनुमान जी ने उस टाइम बम को महज 2 मिनट पहले डिफ्यूज किया था। और डिफ्यूज करने के बाद भी उसी बम के पास बैठे रहे जब तक कि पुलिस की नजर बम निकालने के लिए उन पर नहीं पड़ी। इस घटना को तो अभिनेता रणदीप हुड्डा अभिनीत इंस्पेक्टर अविनाश फिल्म में इस घटना को दर्शाया भी गया है।
इसी तरह अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन पर झोले में रखे गए बम का तार एक बंदर ने काट दिया था . यही नहीं 2005 में जब आतंकियों ने श्रीराम जन्मभूमि परिसर के अस्थाई मंदिर पर हमला किया था, तब सेना के पहुंचने तक बंदरों के एक झुंड ने आतंकियों से दो दो हाथ किए और आतंकियों की ओर से फेंके जा रहे हैंड ग्रेनेड को कैच करके वापस आतंकियों के ऊपर ही फेंक रहे थे। इसके बाद जब सेना ने मोर्चा संभाला था तब एक आतंकी का हैंड ग्रेनेड का पिन खींचते हुए गोली लगने से उसकी मौत हो गई थी लेकिन उसके बाद भी बम फटा नहीं।यही नहीं, एक ग्रेनेड तो मंदिर के तिरपाल पर गिरा था लेकिन वो भी फटा ही नहीं था. मान्यता है कि लंका विजय के बाद हनुमान जी श्रीराम के साथ रहकर अयोध्या की रक्षा में तैनात रहे.मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद भी एक बंदर वहां आया था. राम लला के पैरों के पास बैठकर उन्हें निहारने के बाद चला गया था.
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