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नाम जप में मन नहीं लगता क्या करू.... प्रेमानंद महाराज का ये उत्तर सभी को सुनना चाहिए






कानपुर। आज के समय में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो प्रेमानंद महाराज को न सुनता हो। सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स व्हाट्स एप, फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम पर महाराज जी की आए दिन रील्स, वीडियोज खासा वायरल हुआ करती है। इनमें महाराज जी के द्वारा उनके प्रवचनों के दौरान कही गई बातों को छोटे छोटे हिस्सों में तोड़कर, जिनमें जीवन जीने के तरीकों को सरल भाषा में समझाया गया होता है, इंटरनेट में डाला जाता है। कई बार इन वीडियोज में साधकों की ओऱ से निजी जीवन से जुड़े प्रश्नोत्तरों को भी शेयर किया जाता है। जिसका फायदा उन लोगों को भी मिलता है जो प्रेमानंद महाराज के पास किसी कारण से नहीं जा पाते है। बता दें कि प्रेमानंद महाराज वैसे तो आध्यात्म और धर्म से जुड़ी हर परेशानी में व्यक्ति का मार्गदर्शन करते है लेकिन उनकी ओर से आध्यात्म और धर्म से भी ऊपर एक चीज है। जिसका अगर पालन कर ले तो आपका मन स्वत: ही भगवान की ओर चलने लगेगा। और वो बात है राधा नाम जप की। महाराज जी के अनुसार अकेला नाम जप ही मनुष्य के सभी संकटो को दूर कर सकता है। नामजप में वो ताकत है जो मनुष्य को जीवन-मृत्यु के बंधन से छुटकारा दिला सकता है। अगर किसी व्यक्ति को जीवन में सुखी रहना है तो वो बस नाम जप करें। 

अक्सर ही आप सब ने महाराज जी की इस बात को सुना ही होगा,और कई लोग  उनकी इस बात को मानकर नामजप भी करते होगें लेकिन हर नाम जप करने वाले व्यक्ति की एक समस्या सामने निकल कर आती है कि उसका भगवान का नाम जप करने में मन नहीं लगता. इसी प्रश्न के साथ एक साधक महाराज जी के आश्रम में भी पहुंच गया। और एकांतिक साधना के समय उसने प्रेमानंद महाराज के सामने अपना ये प्रश्न रखा। इस प्रश्न को सुनने के बाद महाराज जी ने जो उत्तर दिया है, वो उत्तर हम आपको इस वीडियों में आगे बताएंगे....

नमस्कार स्वागत है आपका इस वीडियों में, और आप देख रहे है भक्ति सफर

प्रेमानंद महाराज के पास वैसे तो हर व्यक्ति अपने निजी  जीवन से जुड़े सवालों, धर्म और अध्यात्म से जुड़े सवालों को लेकर पहुंचता है, जिनका महाराज जी इस तरह उत्तर देते है कि वो व्यक्ति अपने सांसारिक जीवन में रहते हुए भी उनका बखूबी पालन कर सके और भगवान की भक्ति आसानी से कर सके।  एक ऐसा ही उत्तर महाराज जी ने नाम जप वाले सवाल का भी दिया है.

जब साधक ने महाराज जी से प्रश्न किया कि महाराज, आप हमेशा कहते है कि कैसी और कोई भी परिस्थिति आए मनुष्य को राधा नाम का जप नहीं छोड़ना चाहिए, आपकी इसी बात को मानते हुए मैं भी राधा नाम का जप करता हूं, लेकिन क्या करूं, मेरा मन नहीं लगता। जब मन के मुताबिक कोई सांसारिक वस्तु मिल जाती है तो नाम जप करना भूल जाता हूं। इसके पीछे का कारण है कि मेरा मन नहीं लगता, मैं क्या करूं, साधक की ओर से ऐसा प्रश्न सुनकर प्रेमानंद महाराज ने बड़ी सरलता से उत्तर देते हुए कहा कि 

भैया, सबसे पहले आपको बहुत बहुत प्रणाम कि आपके मन में राधा नाम जप करने की भावना आई। और आप भगवान की ओर चलकर अपनी आध्यात्मिक कमाई करना चाहते है। अगर आपके मन में ऐसा भाव आया है तो ये मान लीजिए कि आपके ऊपर लाल जू और लाडली जू की बड़ी कृपा है,  अब आपके प्रश्न के उत्तर पर आते है तो देखिए ये समस्या कि नाम जप में मन नहीं लगताा है, ऐसा तो हर किसी के साथ होता है। शुरूआत में भगवान की ओर जब कोई व्यक्ति चलता है तो उसका मन भगवान में नहीं लगता है, और इसके पीछे का कारण होता है कि वो व्यक्ति अभी तक भगवान की ओर नहीं चला है । उसने हमेसा से ही संसार में मन लगाए रखा। और ये स्थिति अकेले आपकी नहीं, हर किसी की होती है। हम अनंत काल से भगवान से विमुख है, औऱ माया में घूम रहे है।  इसलिए हमारा मन भी माया कि वस्तुओ में ही लगा है। माने सांसारिक वस्तुओं में। इसलिए अब हमें अपने मन को शुरूआत में भगवान की ओर जबरजस्ती करके लगाना पड़ेगा, औऱ संसार से हटाना पड़ेगा। और जब आप नाम  जप करेंगे, उसमें आपको सबसे पहले मन को भगवान मे ंलगाना ही है उसके बाद ही नाम जाप करना है। क्योंकि पता चले कि आप राधा राधा जप तो रहे है लेकिन मन आपका परिवार के सदस्यों में रखा है, काम में जा रहा है, संसार की भोग विलास की वस्तुओं में जा रहा है। फिर ये तो सिर्फ आप मुंह से ही नाम जप करेंगे, और भगवान के यहां बाहरी आवरण से किया गया कार्य का कोई मोल नहीं होता है। जब मैं कहता हूं भगवान के सामने शांति से बैठकर कुछ समय के लिए नाम जप करना चाहिए तो उसके पीछे का कारण यहीं होता है कि आप अपने मन में सबसे पहले भगवान को लाइए, फिर उसके बाद नाम जप करें। नहीं तो खाली मुंह से राधा राधा बोलते रहने का कोई फायदा नहीं है और न ही आपको भगवान का वो आनंद मिल पाएगा। भगवान को अपने मन में लाना, फिर नाम जाप करने से ही आपको वो आनंद मिलेगा. महाराज जी ने आगे कहा कि  नाम जप मन से करते रहने का ये फायदा होगा कि एक समय के बाद नाम जप में आपको वो आनंद मिलेगा कि संसार की जिस वस्तु के लिए आप भाग रहे हो, वो भी अगर कोई अनंत मात्रा में भी देगा तो आप उसको ठुकरा दोगे, लेकिन नाम जप करना नहीं छोड़ोगे। महाराज जी ने आगे कहा कि इस नाम जप को जपने वाला त्रिलोक के वैभव को भी ठुकरा देता है, लेकिन अपने प्रभु के नाम को नहीं बिसारता। आप बस नाम जप करते रहो, धीरे धीरे आपका मन भी लगने लगेगा और आपको जो नाम में आनंद मिलना चाहिए, वो भी मिलने लगेगा।  


महाराज जी ने साधक को मन के विषय में समझाते हुए आगे कहा कि बच्चा, मन की बात तो ऐसी है कि अगर शुरू से ही हमारा मन भगवान में लगने लगता , तो वो फिर हम जैसे लोगो ंकी बतान ेकी आवश्यकता ही न पड़ती,. जन्म लेते ही बच्चा भगवान की ओर चलने लगता। सारा खेल इसी मन का ही तो है। अगर यहीं सही हो जाए और भगवान की ओर चलने लगे तो फिर काहे बात की दिक्कत. फिर ना तो हमको ऐसे उत्तर देने की जरूरत पड़े, और न ही आपके प्रश्न करने की। लेकिन आप भी देख रहे होगें कि संसार में कितने ही लोग है जिनका भगवान में मन लगता है। सब लोग संसार की चीजों में मिलने वाले झूठे सुख के पीछे भाग रहे है और परमानंद को बिसारे है। लेकिन आप मेरी ये बात मानकर मन से भगवान का नाम जप करोंगे तो आपको भी भगवान वाला परमानंद मिल जाएगा। और आप भी फिर मेरी तरह मस्त हो जाओंगे. संसार का कोई भी दुख आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।






 

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