Ticker

6/recent/ticker-posts

अब ज्ञानवापी पर किसने पूछ लिया–कहां है व्यास जी का तहखाना?




देश में रामधुन अभी सोलह कलाओं से काबिज भी नहीं हुई थी कि महादेव की नगरी में इतिहास का तहखाना खुल गया। मंदिर की देहरी पर कदम रखते ही बाबा के दुलारों की आंखे आज उस तहखाने को ढूंढ रही थीं जिसके इतिहास ने आधी रात आंखें खोलीं है। आस्था का कोई गूगल मैप नहीं होता। इसलिए आज बाबा के आंगन में मौजूद पुजारियों-पुलिसवालों से सबसे ज्यादा सवाल यही पूछा गया - वो व्यासजी का तहखाना कहां है?
बाबा के दर्शन को खड़ी भीड़ आज सिर्फ सोने के शिखर वाले मंदिर को ही नहीं, उस तहखाने को भी ढूंढ रही थी जहां 30 साल बाद पूजा की इजाजत मिली है। शायद यही वजह थी की उस तहखाने की ओर मुंह कर सालों से बैठे नंदी के कान में मन्नतें कहने वाले आज थोड़े ज्यादा लोग थे। वो नंदी तक पहुंचते, कान में बुदबुदाते और फिर गर्दन घुमाकर जाली के पीछे, आंखों से बैरीकेड खोल उस पार चले जाते।और  बाहर आते-आते एक श्रृद्धालु कहते हैं नंदी का तप है-रास्ता खुल रहा है। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ