बाबा के दर्शन को खड़ी भीड़ आज सिर्फ सोने के शिखर वाले मंदिर को ही नहीं, उस तहखाने को भी ढूंढ रही थी जहां 30 साल बाद पूजा की इजाजत मिली है। शायद यही वजह थी की उस तहखाने की ओर मुंह कर सालों से बैठे नंदी के कान में मन्नतें कहने वाले आज थोड़े ज्यादा लोग थे। वो नंदी तक पहुंचते, कान में बुदबुदाते और फिर गर्दन घुमाकर जाली के पीछे, आंखों से बैरीकेड खोल उस पार चले जाते।और बाहर आते-आते एक श्रृद्धालु कहते हैं नंदी का तप है-रास्ता खुल रहा है।
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