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योगी के राम मंदिर के बयान पर मौलाना का पलटवार कहा- 1400 साल से मान रहे कानून, शरीयत में किसी का दखल बर्दाश्त नहीं





कानपुर। जब से राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है, तब से ही भाजपा राम मंदिर के अवसर को राजनीतिक रूप से भुनानें में लगी है। राम मंदिर के निर्माण को भाजपा अपने सबसे प्रमुख कामों की सूची में सबसे ऊपर गिना रही है। फिर चाहे संसद में राम मंंदिर के ऊपर प्रस्ताव लाना  हो या योगी आदित्यनाथ का विधानसभा की पटल पर राम मंदिर पर विपक्ष को घेरने का काम हो, भाजपा के सभी नेता इस टाइम चुनाव की पिच पर फ्रंट फुट पर बैटिंग कर रहे है। और मजे की बात ये है कि विपक्षियों की हर बॉल, नो-बॉल जा रही है।

इसलिए जब भाजपा के नेताओं और मुख्यमंत्रियों को विपक्ष जवाब नहीं दे पा रहा है तो उनको माकूल जवाब देने का जिम्मा उठाया है, मुस्लिम समाज के प्रमुखों ने। बता दें कि बीते दिनों उत्तर प्रदेश विधान सभा में  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर, काशी और मथुरा पर समाजवादी पार्टी के नेता और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव  को कटघरे में खड़ा किया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि  राम मंदिर बनने से हर कोई खुश है, लेकिन विपक्ष ने सदी की सबसे बड़ी घटना पर कुछ नहीं बोला, सिर्फ यहां-वहां भटकाते रहे।

उन्होंने आगे कहा, "2017 से पहले उत्तर प्रदेश में जिन लोगों ने शासन किया... वे उत्तर प्रदेश को कहां लेकर गए? उन्होंने उत्तर प्रदेश वासियों के सामने पहचान का संकट खड़ा कर दिया था। यहां का नौजवान पहचान छिपाने के लिए मजबूर था। नौजवान कहीं जाता था तो नौकरी नहीं मिलती थी। किराए पर कमरे की बात तो दूर होटल और धर्मशालाओं में भी कमरे नहीं मिल पाते थे और आज उत्तर प्रदेश ने 22 जनवरी 2024 की घटना को भी देखा है।"

योगी के इस बयान पर जमीयत ए उलेमा, मुंबई के अध्यक्ष मौलाना सिराज खान ने योगी को जवाब देते हुए कहा कि शायद बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को योगी आदित्यनाथ को पढ़ना चाहिए। वो फैसला कोर्ट ने हिंदू आस्था के आधार पर दिया था। ज्ञानवापी मस्जिद पर जो जिला अदालत का फैसला था। उसके खिलाफ हम हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। क्योंकि हमें कोर्ट से न्याय का पूरा भरोसा है। 

मौलाना ने आगे कहा कि मंदिर को तोड़कर बनाई गई मस्जिद या हड़पी गई जमीन पर बनाई गई मस्जिद में मुसलमान कभी नमाज नहीं पढ़ेगा। यह सब कहानी बनाई गई है।मौलाना सिराज खान ने कहा कि मुसलमान सब बर्दाश्त करेगा लेकिन शरीयत के नियमों में किसी की दखलअंदाजी को बर्दाश्त नहीं करेगा। 1400 सालों सो मुसलमान शरीयत के कानून का पालन करता आ रहा है। ऐसे में यूसीसी के कानून के तहत अचानक खुद को कैसे बदल लेगा। मथुरा और काशी का मामला कोर्ट में चल रहा है। हम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे।  मौलाना ने कहा कि इस तरह का बयान दिखाता है कि 24 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत की गारंटी नहीं दिख रही है। कुछ कमी दिख रही है। इस कारण हिंदू वोटों को पोलराइज करने के लिए इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं। क्योंकि भाजपा को मुस्लिम वोट की जरूरत तो नहीं है।


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