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प्रेमानंद महाराज को सुनने वाले हर शख्स पर हो रही ये 3 भगवत्कृपा, बस इस बात को मान लें


कानपुर।  प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि भगवान तो दयालु है। वे दया के अलावा और कुछ कर ही नहीं सकते। बस हम लोग इस बात पर विश्वास नहीं करते है। जाने कितने संत आए इस धरती पर। सबने एक ही बात हम लोगों को बताई कि भगवान अकारण कृपालु है। माने हम सब दुनिया में जो भी काम किसी के लिए भी करते है तो उसमें हमारा कहीं न कहीं सूक्ष्म रूप से निज स्वार्थ छिपा ही होता है। लेकिन भगवान तो हम सब पर बिना किसी कारण के ही कृपा करते रहते है।


बाबा जी ने आगे बताया कि भगवान इस धरती पर मौजूद लोगों पर 3 सबसे बड़ी भगवत्कृपा कर सकते है। पहली कृपा ये करते है कि किसी जीव को मानव देह दे दें। जिससे आप संतो से भगवान वाला ज्ञान सुनकर समझ सकते है और भगवान को प्राप्त कर सकते है। चौरासी लाख योनियों में युगों-युगों तक घूमने के बाद भगवान किसी-किसी को ये मानव शरीर कृपा करके देते है। ऐसे ही आसानी से हर किसी को नहीं मिल जाता ये मानव शरीर। औऱ जब भगवान, मां के गर्भ में जीव को मानव शरीर देते है तो उससे ये वायदा लेते है कि जब वो संसार में आएगा तो सिर्फ मुझे पाने के लिए ही प्रयत्न करेगा और मेरा भजन करेगा। लेकिन हम सब की मेमोरी इतनी कमजोर है कि भगवान से किया हुआ वादा भी भूल गए। 

दूसरी कृपा भगवान तब करते है जब किसी सद्गुरू से आपको मिला दें, ताकि गुरू आपको ये ज्ञान करा दें कि जिस भगवान को आप जैसे भोले लोग बाहर ढूंढ़ रहे है वो असल में आपके भीतर यानि आपके हृदय में बैठा है। इस बात को सभी शास्त्र पुराण चिल्ला चिल्लाकर बताते है कि ऐ मनुष्यों जिस भगवान को तुम लोग बाहर खोज रहे हो वो असल में तुम्हारे भीतर ही बैठा है। अरे यहां तक कि भगवान खुद अपने संतो के माध्यम से हम सबको बताते है कि मैं तुम लोगों के भीतर ही बैठा हूं। तुमलोगों के हृदय में बैठकर तुम्हारे आइडियाज यानि मानसिक रूप से किए गए कर्मों को ही नोट करता हूं और उसका फल देता हूं।   

इसके बाद तीसरी और आखिरी भगवत्कृपा बताते हुए प्रेमानंद महाराज बताते है कि ये कृपा असल में हम मनुष्यों को करनी होती है. यानि जो भी गुरू के प्रत्येक वचनों को सुनकर पूरी श्रृद्धा से उनपर अमल करता है, ऐसा व्यक्ति असल में अपने गुरू के प्रति शरणागत होता है। और जो व्यक्ति भी अपने गुरू के प्रति शत प्रतिशत शरणागत यानि गुरू की कहीं हर बात को पूरी तन मन से मानता है फिर उसको भगवान के दर्शन मिलने में कोई देर नहीं लगती.

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