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नरेंद्र मोदी की पत्नी करेंगी अयोध्या में माता सीता के मंदिर का भूमि पूजन



कानपुर। 2019 में सुप्रीम कोर्ट की ओर राम मंदिर के हक में फैसला आने के बाद से ही श्री राम के साथ ही मां सीता का मंदिर भी बनाए जाने की मांग दबे स्वर से उठ रही थी। लेकिन भक्तों को रामलला को श्री रामजन्म भूमि में उनका मंदिर बनाकर विराजने की इतनी जल्दी थी कि वे सबसे पहले राम मंदिर बनाने की बात पर ही जोर देते रहे। और मां जानकी के मंदिर की मांग को बाद के लिए रख दिया था। अब जब श्री राम जन्मभूमि में भव्य रामलला का मंदिर बनकर तैयार हो गया है और उसमें रामलला को विराजमान कर दिया गया है, तो अब वो भी पल आ गया है कि  अयोध्या में ही माता जानकी के मंदिर सीता धाम को बनाने की भी घोषणा कर दी गई है।इस घोषणा के बाद से ही श्रृद्धालुओं में माता सीता के मंदिर को लेकर उत्साह है। खासकर उन संतों ने इस फैसले का स्वागत किया है जो माता सीता के उपासक है। उनका कहना है कि प्रभु श्री राम ने माता सीता के मंदिर बनाए जाने की हमारी प्रार्थना सुन ली है। अब अयोध्या में राम मंदिर की तरह ही दिव्य और भव्य सीता धाम बनेगा जो देश-दुनिया के श्रृद्धालुओं की आस्था का एक केंद्र बनेगा।

मां सीता के मंदिर बनने की जानकारी तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर स्वामी पहमहंस आचार्य की ओर दी गई है। आचार्य जी ने कहा कि राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में अब सीता धाम भी बनाया जाएगा। हालांकि अभी धाम के शिलान्यास का समय तय नहीं हुआ है। राम मंदिर बन गया है औऱ अब माता सीता का मंदिर बनना जरूरी है। उन्होंने आगे बताया कि सीता धाम का भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धर्मपत्नी जसोदा बेन पटेल के हाथों सम्पन्न होगा। इसके लिए उनकी ओर से सहमति भी मिल गई है। स्वामी जी ने कहा कि माता सीता का मंदिर बनना धर्म के नजरिए से भी अच्छा है।

बता दें कि जब से राम मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था तब से माता जानकी के उपासना करने वालों संतो की ओर से इस बात का समर्थन किया जा रहा था कि प्रभु श्री राम के साथ ही माता सीता का मंदिर भी अयोध्या में बनना चाहिए। उनका कहना था कि 500 साल का वनवास भगवान राम और माता सीता दोनों ने ही अयोध्या में आने के लिए काटा है इसलिए दोनों का एक साथ ही गृहप्रवेश कराया जाना चाहिए। वहीं श्री राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष चंपत राय माता सीता के मंदिर के लिए तो राजी थे लेकिन उनका कहना था कि जो भूमि सुप्रीम कोर्ट की ओर सें फैसलें में दी गई है,वो रामजी का जन्म स्थान है। वहां पर गर्भगृह में 5वर्ष के रामजी प्रतिमा लगाई जाएगी। अब उस जगह हम माता सीता की 5 वर्ष की बालिका स्वरूप प्रतिमा कहां से लाएंगे। 

दरअसल चंपत राय की ओर से कही गई बात ज्यादा सार्थक थी क्यूंकि माता जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी है। और   सीता-राम में अपनी आस्था रखने वाले भक्तों  के लिए उत्तर प्रदेश के अयोध्या की तरह ही सीतामढ़ी का भी खास महत्व है. माता सीता  की जन्मस्थली के रूप में विख्यात पुनौरा धाम में जानकी जी का भव्य मंदिर भी बना हुआ है. काफी समय से लोग इसे विकसित करने की मांग करते रहे हैं. 

वहीं पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर के प्रमुख आचार्य किशोर कुणाल ने माता सीता के मंदिर बनने पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि अब वक्त है कि राम मंदिर के निर्माण के बाद ही माता सीता के भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हो, ताकि अयोध्या दुनिया के मानचित्र पर अध्यात्मिक नगरी के तौर पर पूरी तरह से स्थापित हो सके। उन्होंने कहा कि माता सीता के भव्य मंदिर का निर्माण होने से वह गौरव फिर से हासिल होगा, जो कहीं न कहीं भुला दिया गया है.

साथ ही प्रसिद्ध कवि और राम कथा वाचक कुमार विश्वास ने राम मंदिर के साथ माता सीता का स्थान बनाए जाने की वकालत की थी। कुमार विश्वास ने अपने मंचों से माता सीता का मंदिर बनाए जाने की बात कहते हुए  कहा था कि भगवान राम मर्यादा पुरूषोत्तम है। उन्होंने जीवन भर एक मर्यादित पुत्र, मर्यादित पति, मर्यादित भाई, और एक मर्यादित राजा की भूमिका निभाई है। और मर्यादा बिना धर्म के निभाई ही नहीं जा सकती है। और अगर धर्म के किसी कार्य में धर्म पत्नी ही साथ नहीं होगी तो धर्म का काम अधूरा माना जाएगा।साथ ही उन्होंने कहा  कि  अयोध्या में राम मंदिर का बनना अधर्म पर धर्म की विजय है। जिन आक्रांताओं ने गलत तरीके से मंदिर को तोड़कर उसपर ढ़ाचे नुमा आकृति बनाकर उसकी प्रतिष्ठा छीनने का अपराध किया था, अब राम मंदिर के दोबारा पुनर्स्थापना से धर्म की प्रतिष्ठा की जाएगी। और धर्म की पुनर्स्थापना भी बिना धर्म पत्नी के अधूरी मानी जाएगी। इसलिए जहां राम है वहां माता सीता का होना ही असल रुप में धर्म की स्थापना करना कहा जाएगा। साथ ही उन्होेने अपने मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या में किए गए विकास कार्यों की प्रशंसा करते हुए उनसे माता सीता के मंदिर बनाने की प्रार्थना भी की थी। बता दें कि  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी रामायण सर्किट परियोजना के तहत राम व सीता से जुड़े उन सभी स्थलों व रास्तों को विकसित करने की योजना बनी, जहां वे दोनों गए थे और जो रामायण से जुड़ी पौराणिक कथाओं की वजह से विख्यात हैं.

अयोध्या में माता सीता को समर्पित बनाए जा रहे सीता धाम पर आपकी क्या राय है। हमें कमेंट्स सेक्सन में जरूर बताए








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