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राम मंदिर में क्यों नहीं माता सीता? पूछने वालों को सुधांशु त्रिवेदी ने दिया जवाब


अयोध्या राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला विराजमान हुए तो कई लोगों ने सवाल किया की माता सीता का नाम क्यों नहीं है? अब इस सवाल का जवाब राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने दिया है। संसद की राज्यसभा पटल पर सुधांशु त्रिवेदी ने जवाब देते हुए कहा कि अयोध्या में नवनिर्मित राममंदिर वहां पर है जहां पर प्रभु राम का जन्म हुआ था। और राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा पर प्रभु राम की 5 साल के बालक स्वरूप को ही विराजमान किया गया है। उन्होने आगे कहा कि जहां राजा राम जी विराजमान होंगे वहां माता सीता भी होगी, लेकिन अभी रामलला है तो जय श्री राम ही होगा। 


सवाल करने वालों को सुधांशु  त्रिवेदी ने सनातन धर्म की महानता के बारे में बताते हुए कहा कि दुनिया में कोई दूसरी संस्कृति नहीं है जो ईश्वर में स्त्री तत्व को स्थान देती हो ऐसा सिर्फ भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा में ही है। उन्होंने आगे कहा भारतीय संस्कृति में हम सीता-राम भी कहते है, राधे-श्याम भी कहते है। लक्ष्मी नारायण भी कहते है और गौरी शंकर भी कहते है। राम आंदोलन के समय को याद करते हुए सुधांश त्रिवेदी ने अपने बचपन की स्मृतियों के बारे में बताया कि जब राम मंदिर आंदोलन चल रहा था तो मैं बालक के रूप में अयोध्या की रैली में था। हम दोनों आराध्य यानि सीता-राम को याद करते थे। उन्होंने कहा कि मुझे आज भी याद है हम कहते थे...जन-जन के मन में राम रमे और प्राण प्राण में सीता है, हर हृदय की धड़कन रामायण पग पग पर बनी पुनीता है, यदि राम नहीं है श्वासों में तो प्राणों का घट रीता है, नरनाहर श्री पुरुषोत्तम का हम मंदिर भव्य बनाएंगे, सौगंध राम की खाते है हम मंदिर वहीं बनाएंगे....

दरअसल जब राम मंदिर का निर्माण हो रहा था और सिर्फ रामलला के मूर्ति की प्रतिष्ठा की बात चल रही थी तो कई लोगों ने इस बात की सिफारिश की थी कि जब भगवान राम का 500 साल का वनवास खत्म हो रहा है तो माता सीता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा भी होनी चाहिए। इस पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष चंपत राय ने जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि राम जी का जन्म अयोध्या में हुआ था तो अयोध्या में तो राम लला के बाल स्वरूप की प्रतिमा ला सकते है, लेकिन 5 साल की जानकी कहां से लाए। क्योंकि जानकी जी का जन्म तो मिथिला में हुआ था। बता दें कि मिथिला में माता जानकी का भव्य मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर में माता जानकी के बाल स्वरूप की ही पूजा होती है। प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन जानकी जी के मंदिर में भी भव्य उत्सव मनाया गया था। पूरे मंदिर में दीपोत्सव मनाया गया था। मंदिर की भव्य सजावट और भव्य आरती का आयोजन भी किया गया था। 


राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर मिथिला से राम जी और सीता मां के गृह प्रवेश के लिए हजारों की संख्या में उपहार आए थे। मिथिलावासियों का कहना था कि हमारी बिटिया का गृह प्रवेश हो रहा है और हमारे यहां ये प्रथा है कि जब बेटी का गृह प्रवेश होता है तो मायके से गृहस्थी से जुड़ा हर सामान दिया जाता है। चूंकि अब राम जी और सीता मां फिर से अपने घर में वापस आ रहे है तो हम सब उनके लिए ये उपहार लेकर आए है।      
 
 

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