उन्होंने कहा, “हमने तो शास्त्रों के हिसाब से ही प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर सवाल उठाया था. हमने कहा था कि शिखर नहीं बना है तो शिखर बनाना ही पड़ गया, भले अस्थाई रूप से बना है लेकिन बनाया गया. इसी तरह से हमने कहा था कि जो रामलला विराजमान है उनको गर्भगृह से वंचित नहीं किया जा सकता उनको भी वहां विराजमान करना ही पड़ा.इस दौरान शंकराचार्य को विरोध भी देखना पड़ा था।
राजनीतिक मसले पर उन्होंने कहा कि हमारी तो समस्या ये है कि जब हम गंगा का आंदोलन करते हैं तो कांग्रेसी लोग हमें भाजपाई घोषित कर देते हैं और जब हम राम मंदिर को लेकर शास्त्रीय प्रश्न खड़ा कर देते हैं बीजेपी के लोग हमें कांग्रेसी घोषित कर देते हैं. ”
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