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सच्ची घटना- जब अयोध्या में बम को बंदर ने चबाचबाकर किया डिफ्यूज, बाद में दर्शन देकर कहा ये....










रामलीला की प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन एक बंदर भारी भीड़ के बीच रामलीला के विग्रह के तक पहुंचा और बिना किसी को नुकसान पहुंचा दर्शन करके वापस लौट गया। रामलाल की मूर्ति को गढ़ने वाले मूर्तिकार अरुण योगी जब मूर्ति बना रहे थे तो एक बंदर रोज शाम उनके पास आता और शांतभाव से मूर्ति को बनते हुए देखता था। कुछ देर वहां बैठने के बाद वहां से चला जाया करता था। 
आखिर क्या है वानर का अयोध्या से कनेक्शन.....इस कलयुग में उत्तर प्रदेश पुलिस के रिटायर्ड  अफसर अविनाश मिश्रा के साथ भी वानरों को लेकर कुछ ऐसी घटनाए घटीं जो इस विश्वास को और भी बल देती है कि जो काम रामजी अयोध्या से जाने के पहले हनुमान जी को जो जिम्मेदारी छोड़कर गए थे वो जिम्मेदारी आज भी हनुमान जी अपने निज आवास हनुमान गढ़ी में बैठकर पूरी शिद्दत से निभा रहे है...
आज हम आपको ऐसी ही एक घटना के बारे में बताएंगे जिसका जिक्र वेब सीरीज इंस्पैक्टर अविनाश  में किया गया है। बता दें कि इस्पैक्टर अविनाश ने खुद भी कई बार इस सच्ची घटना का जिक्र अपने इंटरव्यू में किया है।
    

हम लोग बचपन से ऐसा सुनते और पढ़ते हैं कि अयोध्या में हनुमान जी का अलग स्थान है साक्षात हनुमान जी या उनके दूत हमेशा से अयोध्या की रक्षा करते हैं। हनुमानगढ़ी से जुड़ी एक घटना वेब सीरीज में भी दिखाई गई है। जब आतंकवादियों ने अयोध्या में हमला किया था तब अविनाश मिश्रा ही उसे समय पुलिस टीम की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने बताया कि हमारी टीम ने भारी मात्रा में आरडीएक्स यानि बारूद को जब्त किया था। औऱ इसके बाद हम सभी निश्चिंत हो गए कि आतंकवादी जो हमला करने आए थे वो हमला अब टल गया था लेकिन पुलिस की टीम को इस बात का अंदेशा बिल्कुल भी नहीं था कि इससे बड़ा खतरा मंदिर के अंदर था। जी हा...जो आतंकवादी अयोध्या में ब्लास्ट करने पहुंचे थे उनका इरादा सिर्फ अयोध्या के लोगों को निशाना बनाना नहीं था....उनके निशाने पर वह मंदिर था जहां साक्षात हनुमान जी विराजते है और वो मंदिर है अयोध्या का हनुमानगढ़ी मंदिर। 
जैसे ही अविनाश मिश्रा को ये सूचना मिली की एक टाइम बम हनुमान गढ़ी के अंदर भी रखा गया है। तो उनके नीचे से जमीन खिसक गई। वे सब हक्के बक्के रह गए और अब उनकी समझ में ये नहीं आ रहा था कि वे क्या करें... बम को कहां ढूंढे.... वो मन ही मन हनुमान जी से प्रार्थना करने लगे कि हे प्रभु अब आप ही रक्षा करों....हे अयोध्या के रक्षक अब आप ही किसी तरीके से अपने भक्तों की रक्षा करिये....इसके बाद वे मंदिर के अंदर गए और बम को ढूढ़ने लगे लेकिन बम नहीं मिला। इसी बीच उनकी नजर एक बंदर पर गई जो अपने मुंह से  तार को छील रहा था...लेकिन ये सभी इतने डरे हुए थे कि उन्होंने बंदर के ऊपर ध्यान नहीं दिया। लेकिन इसी बीच बॉम स्क्वायड के एक सदस्य ने देखा कि बंदर जिस तार को अपने मुंह से छील रहा है वो तार काफी लंबा है और उस तार का एक सिरा थोड़ी दूर पर रक्खे वॉटर कूलर के अंदर पर है। उनको कुछ संदेह हुआ तो उन्होेने कहा कि पहले इस बंदर को यहां से भगाओं तभी कुछ पता लग पाएगा...इसके बाद उस बंदर को भगाने के लिए उन्होंने केले डाले लेकिन वो बंदर बिना एक भी केला खाए चुपचाप मंदिर के शिखर की ओर चला गया।
जब बॉम स्क्वायड की टीम ने वाटर कूलर के अंदर खोल कर देखा तो उन्हें एक टाइम बम मिला जो डिफ्यूज था बस उसका टाइमर ही चल रहा था.....ये देखकर वहां मौजूद सभी लोग दंग रह गए। सभी साधू संतों के चेहरे पर मुस्कान थी हनुमान जी बंदर के भेष मे आकर कोई अनर्थ होने से हम सभी को बचा लिया। और जब इसके बाद उन लोगों ने उस बंदर के दर्शन करना चाहे तो वो बंदर मंदिर के शिखर पर लगी पताका को पकड़कर बैठा था। मानों कह रहा हो कि जाओ...मेरे रहते कोई भी अयोध्या के लोगों का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।  

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