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पूछती है बेटियां: आखिरकर दिल्ली है किसकी?- दंरिदों की या दिलवालों की


दिल्ली। सबसेपहले पत्थर फेंक कर गाड़ी का शीशा तोड़ा। घबराहट में जैसे ही मै गाड़ी से निकलकर बाहर आई तो एक ने मुझे पकड़ा और दूसरे ने मुझसे मोबाइल, पैसे छीनना शुरू कर दिया। ये कहना है उबर महिला ड्राइवर प्रियंका का। प्रियंकाने बताया कि 9 जनवरी की  रात करीब आठ बजे  एक कस्टमर की कॉल पर उसको रिसीव करने जा रही थी। वहीं बीच रास्ते में मेरी गाड़ी पर किसी ने पत्थर फेंका, जिससे गाड़ी का शीशा टूट गया। घबराकर मै जेैसे ही गाड़ी  से बाहर निकली तो दो शोहदों ने मुझे घेर लिया। एक ने मुझे पकड़ा और दूसरे ने मेरा सारा सामान छिना लिया। चिल्लाने पर उन्होंने दो बियर की बोतले महिला के सिर पर फोड़ दी जिससे उसके सिर व गर्दन पर चोट आई। चोट के कारण के 10 टांके भी आए। 

INDIAN GIRLS WANTS TO KNOW दिल्ली में कब सुरक्षित होगी बेटियां?

निर्भया, अंजलि, प्रिंयका....न जाने कितनी?

साल के शुरूआत में दिल्ली में कंझारवाला कांड जिसमें अंजलि को कार के नीचे फंस जाने से 13 किमी घसीटने पर उसका शरीर क्षत-विक्षत होने का मामला सामने आया था। और उसके महज 9 दिनों के बाद देश की बेटी के साथ एक और घटना। सन् 2012 में निर्भया कांड के बाद से लगता था कि अब कोई और घटना नहीं होगी। लेकिन बेटियों के लिए की गई सारी व्यवस्थाएं एक तरफ और क्राइम का बढ़ता ग्राफ एक तरफ है।

दिल्ली का महिला के खिलाफ बढ़ता क्राइम ग्राफ
NCRB के मुताबिक 19 मेट्रो सिटीज में दिल्ली क्राइम ग्राफ में सबसे ऊपर है। दिल्ली के बाद मुंबई और बंगलुरू का नंबर आता है।डाटा पर नजर डाले तो 2020 के मुकाबले 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले 49 प्रतिशत बढ़े हैं। अगर कुल आपाराधिक मामलों की बात करें तो 2020 में जहां महिलाओं के खिलाफ 9782 केस दर्ज हुए वहीं 2021 में ये बढ़कर 13892 हो गए।इन डाटा में जो चौंकाने वाली बात थी वो थी कि साल 2021 में दिल्ली में एवरेज हर दिन दो नाबालिग लड़कियों के रेप की घटनाएं दर्ज होती है। गौरतलब ये है कि आकड़े दर्ज की गई रिपोर्ट के आधार पर है। ऐसी जाने कितनी ही घटनाएं होगी जिनकी शिकायत ही नहीं की गई होगी।  
  बेटियों के साथ की ऐसी घटनाओं से माता-पिता का दिल बैठ जाता है। वे बेटियों के रात में बाहर निकलने पर रोक लगाना ही उनकी सुरक्षा समझने लगते है। 

क्या करती है पुलिस
 
आए दिन होने वाली घटनाओं पर प्रशासन आंखे मूंदे रहता है। अगर कोई मामला मीडिया की ओर से हाईलाइट में आ जाता है तो कुछ दिनों तक सक्रियता दिखती है। और धीरे धीरे वहीं ढुलमुल रवैये पर पहुंच जाते है।  



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