सरकार के प्रयासों के बावजूद देश में एनीमिया वाले बच्चे, महिलाओं,किशोर, किशोरियों की आबादी घटने की जगह बढ़ रही है। शहर की 70 फीसदी किशोरियां एनीमिया की शिकार है। इसकी वजह से कई अन्य बीमारियां भी उन्हें घेर रही है। इससे उनकी पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है और आगे चलकर उन्हें कई जटिल बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
क्या होता है एनीमिया
जब खून में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से काफी कम हो जाता
है तो इस तरह की स्थिति को मेडिकल भाषा में एनीमिया कहते है। इसे आयरन की कमी भी
कहते हैं। सामान्यतः हीमोग्लोबिन का स्तर किशोरियों में 12 ग्राम तथा
किशोर में 13 ग्राम होना चाहिए।
क्या कहते हैं आंकड़े-
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) में
चौंकाने वाले आंकड़े सामने निकलकर आए है, जिसके तहत देश की
आधी से ज्यादा महिलाएं (57 फीसदी) और बच्चे (67.1 फीसदी) एनीमिया के शिकार हैं। बीते 7 सालों में 2015-16
से 2019-21 के दौरान एनीमियाग्रस्त बच्चों (6-59
माह) की संख्या 8.5 फीसदी जबकि महिलाओं (15-49
साल) की संख्या 3.9 फीसदी और किशोरियों (15-19साल) की संख्या 5 फीसदी बढ़ी है। ये आंकड़े
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) 4 और 5
के आंकड़ों का हवाला देते हुए लोकसभा में पेश किए गए।
उत्तरप्रदेश में आधी (50%) महिलाएं एनीमिया की शिकार है। जिनमें 24 फीसद हल्की, मध्यम और 2 फीसद में गंभीर एनीमिया की शिकायत है। एनएफएचएस-5 के सर्वे के आधार पर 15-19 आयु वर्ग की किशोरियों व अन्य जनजाति की महिलाओं में ये दर 40 फीसद से अधिक है। सर्वे एनएफएचएस-4 के बाद से महिलाओं में एनीमिया के 2 प्रतिशत अंक की कमी आई है। एनीमिया अब जगह से प्रभावित नहीं है। वहीं शहर की बात करें तो 15-45 साल की महिलाओं में एनीमिया का प्रतिशत 80 फीसदी का है। किशोरियों में एनीमिया की समस्या 60-70 फीसदी है। जिनमें 50 फीसद माइल्ड, 30 फीसद मॉडरेट व 20 फीसद सीवियर एनीमिया के केस है।
एनीमिया संबंधित प्रोग्राम
एनीमिया मुक्त भारत (2019)
जननी सुरक्षा प्रोग्राम (2005)
विकास होता है प्रभावित, फास्ट फूड वजह
बच्चों और महिलाओं में एनीमिया के बढ़ने का प्रमुख कारण खानपान में
अनियमितता है। जिसमे फास्टफूड को तवज्जो, हरी सब्जी,पौष्टिक आहार से किनारा मुख्य वजह हैं। इससे रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो
जाती है जो विकास को प्रभावित करती है।
लक्षण
बहुत ज्यादा थकान होना, सांस फूलना, पढ़ाई में मन न लगना, चॉक या मिट्टी खाने का मन करना, पेट में कीड़े होना आदि एनीमिया के लक्षण होते है। गर्भपात के लिए ली जाने वाली दवाइयों की हाई डोज सीवियर एनीमिया की वजह बनता है।
टेस्ट
हीमोग्लोबिन, आरबीसी इंडिसेस,
सीरम फेरेटिन की जांच करके एनीमिया का पता लगाया जाता है।
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