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ट्विटर पर ट्रेंडिंग ‘जस्टिस फ़ॉर लावण्या’ के लिए देश भर में आंदोलन कर रही है विद्यार्थी परिषद!

तमिलनाडु की छात्रा ‘लावण्या’ के सुसाइड केस में न्याय की मांग करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पूरे देश भर में प्रदर्शन कर रही है। छात्रा ने अपने डेथ स्टेटमेंट में स्कूल द्वारा जबरन ईसाई धर्म अपनाने, क्लासरूम को साफ करवाने व मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का गंभीर आरोप लगाया है। कानपुर में लावण्या के लिए न्याय की मांग में कर रहे आंदोलन की अगुवाई एबीवीपी के महानगर मंत्री अविरल मिश्र व जिला संयोजक अविनाश शुक्ल कर रहे है। अविरल मिश्र की मांग है कि "इस मामले में धर्मांतरण के एंगल को नजरंदाज किया जा रहा है जो कि पीड़िता ने खुद बताया है। इसलिए इस एंगल को भी जांच के दायरे में शामिल करना चाहिए और सीबीआई जांच की मांग की  जिससे पीड़िता को जल्द से जल्द न्याय मिल सके।" हाल ही में एबीवीपी राष्ट्रीय महामंत्री निधि, लावण्या के माता–पिता से मिली और ये भरोसा दिलाया कि विद्यार्थी परिषद लावण्या को न्याय दिलाने और दोषियों पर कठोर कार्यवाही के लिए उनके साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस मामले को दबा देना चाहती है। धर्मांतरण करवाने के लिए किसी पर दबाव डालना और इसके कारण उसे आत्महत्या करने पर मजबूर होने की घटना की जितनी निंदा की जाए कम है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी परिषद देशभर में मतांतरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने हेतु एक केन्द्रीय कानून लाने की मांग करती है.
उत्तर प्रदेश में एबीवीपी ने कानपुर प्रांत के 16 जिलों उन्नाव, जालौन, औरैया, इटावा, कानपुर देहात आदि में एक साथ आंदोलन किया।इसके साथ ही राष्ट्रपति द्वारा इस मामलें का संज्ञान लेने की मांग के साथ ज्ञापन जिला अधिकारी नेहा शर्मा को दिया। इस आंदोलन में नगर प्रांत संगठन मंत्री अंशुल विद्यार्थी के साथ अन्य एबीवीपी कार्यकर्ता मौजूद रहे।

स्कूल की वार्डन करती थी प्रताड़ित
छात्रावास में रहने वाली लावण्या ने अपने डेथ स्टेटमेंट में वार्डन की तरफ से  ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किए जाने का गंभीर आरोप लगाया है। इस सिलसिले में पीड़िता का एक वीडियो क्लिप भी प्रसारित हुआ। स्कूल प्रबंधन ने आरोप को खारिज कर दिया और इसके पीछे निहित स्वार्थों को दोषी ठहराया। पुलिस के बयान के साथ-साथ न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दिये बयान में, लड़की ने सीधे और स्पष्ट शब्दों में छात्रावास की वार्डन पर गैर-शैक्षणिक यानि शौचालय, क्लास रूम की साफ–सफाई जैसे कार्यों को कराने का आरोप लगाया है। पीड़िता ने स्कूल प्रबंधन द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने और प्रताड़ना बर्दाश्त नहीं कर पाने पर कीटनाशक का सेवन करने की बात कही है।

तमिलनाडु सरकार को लेकर गुस्सा
इस मामले में तमिलनाडु सरकार की उदासीनता ने लोगों में आक्रोश भड़का दिया है। नाराज छात्रों ने दिल्‍ली के तमिलनाडु भवन के बाहर जबरदस्‍त प्रदर्शन किया। स्टालिन सरकार की चुप्पी ने मामले को राजनीति रंग दे दिया है। लावण्या के परिजन पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें तमिलनाडु पुलिस की जांच पर कोई भरोसा नहीं है। मरने से पहले छात्रा का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि हॉस्टल में उसका जबरन धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की जा रही थी।
न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मृत्यु से पहले उसका बयान दर्ज किया। न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने छात्रा ने अपने बयान में सीधा और स्पष्ट आरोप लगाया कि छात्रावास वार्डन ने उस पर गैर शैक्षणिक कामों का बोझ डाला, जिसकी वजह से उसने आत्महत्या का रास्ता चुना। 

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
सुप्रीम कोर्ट में  दायर जनहित याचिका में आत्महत्या के 'मूल कारण' के जांच की मांग की गई है। यह जनहित याचिका अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है। याचिका में केंद्र और राज्यों को यह निर्देश देने की भी अनुरोध किया गया है कि धोखाधड़ी से धर्मांतरण को रोकने के लिए 'भय दिखाना, धमकी देना, धोखा देना और उपहारों और मौद्रिक लाभों के माध्यम से लालच देने' के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।
अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने इस याचिका में कहा है, 'नागरिकों पर हुई चोट बहुत बड़ी है क्योंकि एक भी जिला ऐसा नहीं है जो भय अथवा लालच के जरिए कराए जाने वाले धर्म परिवर्तन से मुक्त हो।' इसमें कहा गया, 'पूरे देश में हर हफ्ते ऐसी घटनाएं होती हैं जहां धर्मांतरण डर दिखाकर, धमकाकर, उपहारों और धन के लालच में धोखा देकर और काला जादू, अंधविश्वास, चमत्कार का उपयोग करके किया जाता है, लेकिन केंद्र और राज्यों ने इस खतरे को रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए हैं।'
याचिका में कहा गया कि धर्मांतरण पर एक 'राष्ट्रीयकृत' कानून को व्यावहारिक रूप से लागू करने की आवश्यकता है क्योंकि राज्य धर्मांतरण विरोधी कानून धोखाधड़ी, जबरदस्ती और प्रलोभन को ठीक से परिभाषित नहीं करते हैं। जनहित याचिका में कहा गया है कि धर्मांतरण देशव्यापी समस्या है और केंद्र को एक कानून बनाना चाहिए और इसे पूरे देश में लागू करना चाहिए।

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