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राम मंदिर ट्रस्ट का जमीन खरीद में घोटाला– पार्ट 3



Que: राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़ा अब कौन सा नया
 घोटाला सामने आया ?
Ans: यह 890 वर्ग मीटर भूमि का एक टुकड़ा है, जो एक प्रमुख संपत्ति है। जहां भव्य राम मंदिर परिसर जल्द बनेगा। फरवरी 2021 तक महंत देवेंद्र प्रसाद आचार्य इस भूमि केे मालिक थे। 20 फरवरी को दीप नारायण ने महंत से 20 लाख रुपए में यह जमीन गाटा संख्या–135 खरीद ली थी। जिसे 3 महीने बाद 11 मई को नारायण ने राम मंदिर ट्रस्ट को 2.5 करोड़ में बेच दी। जबकि इस जमीन का सर्किल रेट* (स्थानीय अधिकारियों द्वारा जमीन की बिक्री के लिए तय किया गया न्यूनतम मूल्य) 35.6 लाख रुपए है। मंदिर ट्रस्ट ने ये जमीन सर्किल रेट से 13 गुना ज्यादा महंगेे दाम में खरीदी है।
Integrated  Grievance Redressal system,Uttar Pradesh or IGRS UP की वेबसाइट ने इस लेनदेन के विवरण की पुष्टि की।
आईजीआरएस यूपी को वेबसाइट पर दो लेनदेन का विवरण।


अभिलेखों (दस्तावेजों )में यह जमीन, अयोध्या में सदर तहसील के अंतर्गत कोट रामचंद्र, हवेली अवध में पाई गई है।

 शंका:  लेनदन प्रमाण पत्र में कहा गया कि नारायण नेे  20 फरवरी 2021 को प्रसाद आचार्य से जमीन खरीदी। लेकिन लेनदेन की एक Digital summary इसे 22 फरवरी 2021 को गलत तरीके से दिखा रही है।

मूल्य दर के संदर्भ में नारायण ने प्रसाद आचार्य से ₹2247 प्रति वर्ग मीटर की दर से 20 लाख में जमीन खरीदी और मंदिर ट्रस्ट को ₹28,090 प्रति वर्ग मीटर की दर सेे 2.5 करोड़ रुपए बेंंच दी। जबकि इस जमीन का सर्किल रेट आज के समय तक ₹4000 प्रति वर्ग मीटर की दर सेे 35.6 लाख रुपए है।

क्या ट्रस्ट के लोगों को इसके इस जमीन के सर्कल रेट का पता नहीं था जो ₹4000 पर वर्ग मीटर खरीदने के बजाय ₹28090 पर वर्ग मीटर में खरीदी?

जिस दिन नारायण ने प्रसाद आचार्य से 890 वर्ग मीटर की संपत्ति खरीदी, उसी दिन उसने कोट रामचंद्र में एक और जमीन गाटा संख्या–36 M मंदिर ट्रस्ट को ₹1 करोड़ में बेच दी। 676.8 मीटर के इस भूमि के टुकड़े को 14,774 रु प्रति वर्ग मीटर की दर से बेचा गया था जबकि इस भूमि का सर्किल रेट ₹4000 प्रति वर्ग मीटर की दर से 27.08 लाख रुपए था। मंदिर ट्रस्ट की साइनिंग अथॉरिटी अनिल मिश्रा एक बार फिर इस सौदे  के कानूनी गवाह थे। इससे पहले मिश्रा बागबिजौसी ( 5 मिनट में 2 से 18.5 करोड़ रुपए में खरीदी जाने वाली जमीन)वाली जमीन में भी कानूनी गवाह है।IGRS UP वेबसाइट पर 1 करोड़ रुपये के लेनदेन का विवरण।

Que: राम मंदिर से जुड़े अभी तक कितने घोटाले दस्तावेजों के साथ सामने आए हैं ?
 Ans: अभी तक राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़े 3 घोटालों का पता चला है।
 पहला  मामला
 जिसमें 18 मार्च 2021को 7:10 मिनट पर ,1.2 हेक्टेयर जमीन को हरीश पाठक व कुशल पाठक ने 2 करोड़ रुपए में सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी को बेची थी। जिसे उसी दिन 5 मिनट के बाद अंसारी–तिवारी ने राम मंदिर ट्रस्ट को 18.5 करोड़ मे बेच दी थी। जबकि इस जमीन का सर्किल रेट 5.8 करोड़ रूपए था।


दूसरा मामला 
18 मार्च को ही पाठकों ने बागबिजौसी गांव में एक और 1.03 हेक्टेयर जमीन सीधे राम जन्म भूमि ट्रस्ट को 8 करोड़ रुपए में, लगभग ₹716 प्रति वर्ग फुट में बेची थी। जबकि उस जमीन का सर्किल रेट 4.97 करोड़ रुपए तय की गया था। जिस पर ट्रस्ट ने 3.03 करोड़ अतिरिक्त रुपए देकर जमीन को खरीदा था।

तीसरा मामला 
20 लाख की जमीन को महज 3 महीनों में 2.5 करोड़ रूपए में ट्रस्ट को बेचा गया। जबकि उसका सर्किल रेट 35.6 लाख है। 
जिस पर यह लेख आधारित है।

राम मंदिर के निर्माण की देखरेख के लिए नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा स्थापित राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय।
चंदा चोरी का माल कहाँ गया?
देखिये 7 जून को मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीपनारायण ने 1 करोड़ 90 लाख में एक ज़मीन ख़रीदी, इसमें गवाह है ट्रस्ट को 18.5 करोड़ में ज़मीन बेचने वाला मेयर का रिश्तेदार रवि मोहन तिवारी।
समझ में आया माल कहाँ गया?
दीपनारायण के आय का श्रोत क्या है? pic.twitter.com/kOwKl9OA6k

— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) June 17, 2021

Que: क्या है आरोप?

 Ans: अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, ट्रस्ट को सीधे जमीन असल मालिक से  नहीं खरीदवाते है। पहले वे अपने संबंधियों को बीच मेंं लाकर असल मालिक से जमीन, सर्किल रेट से भी कम रेट पर खरीद करवाते हैं। फिर उसी जमीन को मंदिर ट्रस्ट को कई गुना दाम बढ़ाकर बेच देते हैं।
 उदाहरण  
दीप नारायण द्वारा 20 लाख रुपए में जमीन खरीदी गई। जिस जमीन का सर्किल रेट 40 लाख रुपए था। 3 महीने बाद मंदिर ट्रस्ट को 2.5 करोड़ रुपए में बेच दी गई, जबकि उस जमीन का सर्किल रेट 33.6 लाख रू है। 

मंदिर ट्रस्ट पर आरोप 
आरोप यह है कि वे सर्किल रेट पर जमीन न खरीदकर उससे कई गुना ज्यादा रेट पर खरीद रहे है।

Que: आरोपियों के बीच क्या कोई संबंध है?
                    फेसबुक से ली गई फोटो

 Ans: दीप नारायण, अयोध्या के मेयर भारतीय जनता पार्टी के नेता ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे हैं। हालांकि ऋषिकेश उपाध्याय ने नारायण से अपने पारिवारिक संबंधों की अभी तक ना तो पुष्टि की है और नहीं नकारा है। 
नारायण की फेसबुक प्रोफाइल उन्हें भाजपा का सक्रिय सदस्य बताती हैै।
* रविमोहन तिवारी, शीतला पाठक के बहनोई है,जो उपाध्याय के बेटे के ससुर है।


           फेसबुक प्रोफाइल सेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे ली गई फोटो    

Que: क्या इन जमीनों की खरीद में एक सा पैटर्न है अपनाया गया है?
Ans:  हां। 
इन जमीनों की खरीद-फरोख्त में एक समान पैटर्न अपनाया गया है। कोट रामचंद्र में जमीन की खरीद तथा बागबिजौसी में सौदे का पैटर्न एक जैसा ही है।
 
विक्रेता– हरीश पाठक और प्रसाद आचार्य ने ऋषिकेश उपाध्याय के एक रिश्तेदार  रवि मोहन तिवारी और दीप नारायण को क्रमश: सर्किल रेट (5.8 करोड व 35.6 लाख) से कम कीमत पर जमीन बेेची। बदलेे में रिश्तेदारों ने इसे मंदिर ट्रस्ट को सर्किल रेट से ऊंचे दाम (18.5 करोड़ व 2.5 करोड़ों रुपए) पर बेच दी।

Que: क्या है आरोपियों का कहना?
Ans: नारायण की गाटा संख्या–135 की बिक्री और खरीद के बारे में पूछे जाने पर उपाध्याय ने कहा कि केवल नारायण और मंदिर ट्रस्ट ही सौदों पर टिप्पणी कर पाएंगेे। "लेन-देन साफ है"–महापौर ने दावा किया।
 एक तिल से ताड़ बनाया जा रहा है।

Que: राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़े घोटालों पर संतों का क्या है कहना?
Ans: राम मंदिर के पूर्व पक्षकार व निर्वाणी अखाड़ा के महंत धर्मदास ने राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट्ट  
को भंग करने की मांग की है। उन्होंने प्रधानमंत्री गृह मंत्री व मुख्यमंत्री से इस प्रकरण की सीबीआई व ईडी जांच कराने की मांग की है। इस संबंध में वे पत्र भी भेजेंगे।महंत धर्मदास कहते है कि इस जमीन की खरीदारी में जो लोग भी गवाह बने हुए हैं उनकी संपत्ति की भी जांच कराई जाए और तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
                          महंत धर्मदास

अयोध्या में 50 से अधिक मकान वह जमीन खरीदी जा चुकी है लेकिन ट्रस्ट के अध्यक्ष को इस पूरे प्रकरण की कोई जानकारी नहीं दी गई। महंत ने मांग की है कि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय सहित अन्य लोग इस्तीफा दें।

अब तो शंकराचार्य , संत और महंत भी कह रहे है ट्रस्ट वाले "चंदा चोर" है। भाजपा नेताओं और ट्रस्ट के लोगों का चेहरा काला हो चुका है। pic.twitter.com/Wo2NbN9o2F

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1 टिप्पणियाँ

  1. Political game would not ashamed for that .... Politics always have the Moto to make the most of anything either if it is religions or any other matter ..... Government always become silent at these types of matter

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