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सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक, इंस्टाग्राम, टि्वटर बैन हो जाएंगे? what's app क्यों पहुंचा हाई कोर्ट?

सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए इसी साल 25 फरवरी को नई गाइडलाइंस जारी की थीं। तथा नियमों को और सख्त किया था। इन्हें लागू करने के लिए 3 महीने का समय भी दिया गया था।डेडलाइन 25 मई को समाप्त हो चुकी है।यह गाइडलाइंस 50 लाख या इससे ऊपर यूजर बेस वाले मुख्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए थीं।
भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के यूजर्स:
• You tube    – 44.8 crore
• Facebook  – 41 crore
• What'app   – 53 crore
• Instagram  – 21 crore
• Twitter       – 1.75 crore
• Koo            – 60 lakh
Que:1 क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स फेसबुक व्हाट्सएप टि्वटर इंस्टाग्राम बंद हो जाएंगे?
Ans: बंद होने जैसा कुछ भी नहीं हैैं। लेकिन जो भी नई सरकारी गाइडलाइन को नहीं मानता है, तो उन्हें सरकार की तरफ से प्राप्त *इम्यूनिटी नहीं मिलेगी। जो भारत में इन कंपनियों की मुश्किलें बढ़ा सकती हैंं। 
*इम्यूनिटी के विषय में आगे बताया गया है।

Que:2 किन प्लेटफॉर्म्स ने मानी नई गाइडलाइंस के नियम?
Ans: अभी तक सिर्फ स्वदेशी कंपनी "कू" ने ही नई गाइडलाइंस को मानने की स्वीकृृृति दी है। वहींं फेसबुक तथा गूगल ने नए नियमोंं को अमल में लाने की सहमति के साथ सरकार सेेेेेे कुछ और समय की मोहलत मांगी है। यह समय 6 महीने का हो सकता है। ट्विटर ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। जानकारों की मानें तो ये कंपनियां नए नियमों में कुछ बदलाव चाहती हैं।नए नियम 26 मई 2021 से लागू हो चुके हैं।

Que:3 सोशल मीडिया के लिए क्या है नई गाइडलाइंस के नियम?
Ans: नई गाइडलाइंस के नियम इस प्रकार हैं–
 सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में कंप्लायंंस अधिकारी व नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने के लिए कहा गया था। यानी वे अधिकारी जो कंप्लेंन को सुने तथा शिकायत दर्ज करें। 
 सोशल मीडिया कंपनी को हर मैसेज का सोर्स बताना अनिवार्य्य होगा। यानी उसेे "सबसेेे पहलेे इस कंटेंट को बनानेे वालेेेे, अपलोड करनेे वाले या शेयर करने वालेेेेेेेे"की जानकारी सरकार को देनी होगी।  
 सरकारी एजेंसी की शिकायत पर 36 घंटेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे में पोस्ट हटानी होगी।
अश्लील पोस्ट के अलावा छेड़छाड़ वाली पोस्ट को भी 24 घंटे मेंं हटाना होगा।
कंपनियों की जवाबदेही भी
मासिक रिपोर्ट जारी करनी होगी जिसमें शिकायत और कार्रवाही का ब्यौरा सरकार को देना होगा।
कंपनियोंं को अपनी वेबसाइट या पेज पर भारत में अपने संपर्क का पता देना होगा।
 देश की सुरक्षा और संप्रभुता वाली कानून व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने से पहले पोस्ट के स्रोत का ब्यौरा देना होगा।

Que: what's app क्यों पहुंचा दिल्ली हाई कोर्ट?
Ans: जहां कुुछ महीने पहले तक व्हाट्सएप निजिता के मुद्दे को लेकर यूजर्स के निशानेेे पर था, वहीं अब व्हाट्सएप निजता के मुद्देे को लेकर सरकार केे खिलाफ कोर्ट चला गया है। कोर्ट में व्हाट्सएप ने सरकार सेे नए  नियमों को लागू न करने का आग्रह किया है।नई गाइडलाइंस के मुताबिक सरकार जिसके भी मैसेज की सूचना मांगेगी, व्हाट्सएप को देना होगा। जो सरकार की ट्रैसेब्लिटी नियम को पूरा करने के लिए अपनी end to end encryption जैसी कोर पॉलिसी को तोड़नेेे पर मजबूर करेगी।
 व्हाट्सएप के अनुसार सरकार बड़े पैमानेेे पर एक नई तरह की निगरानी रखना चाहती है।अपने पक्ष को,लोगों को समझाने के लिए व्हाट्सएप, एक ब्लॉग पोस्ट अपने यूजर्स को send कर रहा है जिसमें उसने व्हाट्सएप की मैसेज ट्रेसेब्लिटी क्या है और कंपनी इसका विरोध क्यों कर रही है? को बताया है।

क्या है What's app पर ट्रेसेब्लिटी पॉलिसी 
ट्रेसेब्लिटी का सीधा मतलब यह है कि "व्हाट्सएप पर सबसे पहला मैसेज किसने भेजा" का पता लगाना। लेकिन समस्या यह है कि व्हाट्सएप end to end encrypted policy पर कार्य करता हैै। माने मैसेज भेजने वाला और  प्राप्त करने वाले का नाम नहीं होता है। और कोई भी third party इस मैसेज को नहीं पढ़ सकती हैंं। व्हाट्सएप का कहना है कि  ट्रेसेब्लिटी के लिए उनको end  to end encryption को तोड़ना होगा जोकि platform की मुख्य यूएसपी है। encryption से यूजर्स को सिक्योरिटी मिलती हैै। अगर सरकार की ट्रेसेब्लिटी के नए नियम को मानेंगे तो प्लेटफार्म की गोपनीयता खत्म हो जाएगी।

WhatsApp  की शिकायत
 यह नियम भारतीय संविधान केे द्वारा दिए गए गोपनीयता के मौलिक अधिकार केेे खिलाफ हैं।सरकार जब भी "सूचना को पहली बार शेयर करने वालों की" जानकारी मांगेेगी तो उनको end to end encryption पॉलिसी तोड़कर जानकारी सरकार को बतानी होगी।और  what's app ऐसा नहीं कर सकता।
दूसरी मुसीबत यह होगी क्योंकि दूसरे देश ट्रेसेब्लिटी की इजाजत नहीं देते हैं। अगर भारत में ऐसा होता है तो व्हाट्सएप विभाजित हो सकता हैं। अमेरिका व यूरोप में बैठे यूजर्स नहीं चाहेंगेे कि उनके भारतीय मित्रों और रिश्तेदारों केेे साथ व्यक्तिगत चैट, भारत सरकार तक पहुँचे। हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए अभी तक कोई दिन तय नहीं किया है।

सरकार का पक्ष 
कानून के हिसाब से बात की जाए तो व्हाट्सएप को केवल गलत काम करने वाले आरोपियों की ही जानकारी शेयर करने की आवश्यकता होगी।

सरकार के नियम न मानने पर ये कार्यवाही होगी–
नए नियमों को ना मानने पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को सरकार की तरफ से दी गई *इम्यूनिटी वापस ले ली जाएगी। इम्यूनिटी के तहत भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का रोल intermediatery यानि बिचौलिए का होता है।इम्यूनिटी का यह असर होता है की अगर कोई यूजर किसी आपत्तिजनक कंटेंट को पोस्ट करता है तो कार्यवाही सिर्फ उस यूजर के खिलाफ ही होती है ना कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ।
 लेकिन अगर सरकार इम्यूनिटी हटा लेगी तो कार्यवाही इन प्लेटफार्म के खिलाफ भी की जा सकेगी। इन प्लेटफॉर्म्स को कोर्ट में जवाबदेही पार्टी बनाया जा सकता है। जो इन प्लेटफॉर्म्स की मुश्किलें बढ़ा देगा।


जनहित में–
आप सभी को यह नए नियम पढ़ने के बाद ऐसा लगा होगा कि ये नियम तो सही है। इन नियमों में देश की भलाई, संप्रभुता,अखंडता को सुरक्षित करने की बात की गई है। इन नए नियमों से देश में दंगों, आतंकवादी घटनाओं और अफवाहों पर रोक लगाई जा सकेगी जो कि एक बेहतर कदम है।
अब इसका दूसरा पहलू समझिए 
नए नियमों के तहत इसमें एक कमेटी का भी गठन किया जाएगा। इस कमेटी में डिफेंस एक्सटर्नल अफेयर्स,गृह मंत्रालय,सूचना प्रसारण मंत्रालय, लॉ आईटी और वूमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट मंत्रालय के लोग होंगे। इनके पास आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर सुनवाई करने का अधिकार भी होगा। कुछ भी ऐसा, जो सरकार को गलत लगेगा, उसे सोशल मीडिया से हटवा दिया जाएगा।
क्या सबूत है कि सरकार नए नियमोंं का उपयोग, सरकार से सवाल पूछने वालों पर, विरोधियों पर,आलोचकों पर या जो भी सरकार को उल्टा पुल्टा लगेगा उसको हटाने के लिए नहीं करेगी?
•क्या सरकार अपनी छवि को सुधारने के लिए इन नियमों का प्रयोग नहीं करेगी?
उदाहरण के तौर पर युवाओं द्वारा #मोदी रोजगार दो कैंपेन चलाया जाना,जिस तरह सेेे करोना काल में ऑक्सीजन,बेड्स,रेमिडेशिविर जैसी दवाओं की मदद के लिए ट्विटर में होड़ लग जाना,जिससे सरकार और प्रशासन की व्यवस्था की पोल खुल गई हो(और उस समय भी यूपी के मुखिया का ये कहना कि राज्य में किसी प्रकार की कोई कमी नही है,जो भी सूचनाएं सोशल मीडिया के जरिए आम जनता तक पहुंच रही है वे क्रत्रिम अफवाह है।) श्मशान और कब्रिस्तान से आई जलती चिताओं की फोटो का वायरल होना और न जाने क्या-क्या? उजागर करने में सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभाई। क्या नए नियम लागू होने के बाद आप यह सब जानकारी आसानी से प्राप्त कर पाएंगे ऐसे ही सरकार अपनी कोई भी कमी आपके सामने आने देेगी?
क्या सबूत है कि किसी सूचना दाता पर सूचना देने के लिए FIR नहीं की जाएगी जिस तरह ये पोस्टर चिपकाने वाले 25 मजदूरों पर FIR की गई?

यह बात आज की सरकार और हर आने वाली सरकार पर लागू होगी।जिसके पास भी पावर होगी,क्या वो इन नियमों का गलत उपयोग करके सोशल मीडिया को अपने अनुसार नियंत्रित नही करेगी?

Que: तो क्या देश की संप्रभुता,एकता,अखंडता के लिए कोई कदम नहीं उठाए जाने चाहिए?
Ans: देश की सुरक्षा के लिए इंटेलिजेंस हैं ना, जो देश में हो रही किसी भी प्रकार की देश विरोधी घटनाओं पर नजर रखने और उनको विफल करने की जिम्मेेदारी निभाती है। अगर कुछ करना है तो इंटेलिजेंस की सशक्ति के लिए नियम बनााइए जो समय रहते,देश विरोधी नीतियों केे खिलाफ़ उचित कार्यवाही करने मेंं मदद करे। जैसे एक समय मुंबई में राज करने वाले अंडरवर्ल्ड का खात्मा मुंबई पुलिस ने अपनी सशक्त इंटेलिजेंस के दम पर किया था। नाकि लोकतंत्र के सशक्त माध्यमों को कंट्रोल करके।

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