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श्री राम और कृष्ण पर उठे सवालों पर प्रेमानंद महाराज ने दिया जवाब


सनातन धर्म में वैसे तो भगवान के हर अवतार को पूजा जाता है लेकिन भगवान हरि के 24 अवतारों में से दो अवतार ऐसे है जिनकी भक्ति मुख्य रूप से की जाती है। और ये दो अवतार है भगवान श्री कृष्ण और श्री राम। और संतो की वाणी भी है कि वैस ेतो भगवान ने समय समय पर धर्म की हानि होने पर अवतार लिया है और धर्म की पुनर्स्थापना की है। लेकिन श्री राम और श्री कृष्ण का अवतार उनमें से एक माना जाता है जिनमें भगवान नें जीव कल्याण के लिए और अपने भक्तों को आनंद देने के लिए लीलाएं की है। इसलिए इन अवतारों के उपासक भारत में सबसे ज्यादा देखने को मिलते है। लेकिन इसके साथ ही भारत में कुछ उपासक श्री राम की भक्ति करते है और कुछ श्री कृष्ण की उपासना करते है। लेकिन भोलेपन में कुछ लोग ऐसे है कि जो भगवान के अवतारों में भी बड़ा छोटा देखते है। किसी का कहना है कि भगवान राम बड़े है और सभी को उनकी भक्ति करनी चाहिए, और कोई कहता  है कि भगवान श्री कृष्ण बड़े है। सभी सनातन धर्मियों को उनकी ही भक्ति करनी चाहिए। ये एक ऐसा सवाल है जो प्राचीन समय से ज्ञानियों के बीच एक तरह के विवाद की वजह रही है, ध्यान रहे कि मैंने यहां पर ये कहा है कि ये ज्ञानियों के बीच विवाद का विषय बनता आया है, भक्तों के बीच नहीं...... आज हम इसी बात के भेद से पर्दा उठाएंगे और आपको सच्चाई बताएंगे.....

वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज अक्सर ही अपनी एकांतिक वार्ता में जिज्ञासु मन से आने वाले भक्तों के सवालों के जवाब देते है और उनको राधा रानी और श्री कृष्ण की भक्ति की ओर बढ़ने में मदद करते है। तो आज की हमराी ये वीडियो एक बार फिर से एकांतिक वार्ता से जुड़ी है जिसमें एक व्यक्ति ने भगवान श्री कृष्ण और श्री राम से जुड़ा ये प्रश्न भी पूछा, जिसका जवाब प्रेमानंद महाराज ने बड़ी ही सहजता के साथ दिया। 


एकांतिक वार्ता में पहुंचे एक श्रृद्धालु नें प्रेमानंद महाराज से ये प्रश्न किया कि क्या भगवान श्री राम और श्री कृष्ण में कोई अंतर है,,,,,या कुछ ऐसा है कि भगवान कोई भगवान का रूप बड़ा है और किसी भगवान का रूप छोटा है तो इसका उत्तर देते हुए प्रेमानंद महाराज ने समझाते हुए बताया कि बच्चा भगवान का कोई रूप छोटा या बड़ा नहीं होता है। ये सवाल तो सिर्फ ज्ञानी लोगों की तार्किक बुद्धि की उपज है, कि कोई भगवान बड़ा है और कोई भगवान छोटा है। भगवान के जितने अवतार है वे सभी समान होते है। बस उनके अवतारों में इतना फर्क होता है कि जिस अवतार में जितनी जरूरत होती है, उस अवतार में भगवान उतनी ही शक्तियों को प्रकट करते है। यानि किसी अवतार में भगवान नें कम शक्तियां प्रकट की और किसी अवतार में ज्यादा शक्तियां प्रकट की। और उसी आधार पर उनकी पूजा आदि की जाती है। जैसे जब भगवान ने वराह अवतार लिया था तब उन्होंने सिर्फ पृथ्वी को समुद्र से बाहर निकाला था और बिना कोई लीला किये चले गए थे, औऱ इसी के साथ जब भगवान ने नरसिंह अवतार लिया था तब उन्होंने हिरण्यकशिपु का वध और प्रहलाद को दर्शन देने के लिए अवतार लिया था। चूंकि भगवान नें इस अवतार में सिर्फ वध करने के लिए कुछ शक्तियां प्रकट की थी इसलिए दक्षिण भारत में कुछ जगह पर ही भगवान के नरसिंह अवतार की पूजा की जाती है। लेकिन जब बात करते है प्रभु श्री राम की तो पहले तो ये बात जान लो कि भगवान के पूर्ण अवतार में कुल 16 कलाएं होती है, जब भगवान राम आए चूंकि उस वक्त लोगों को  मर्यादा का पाठ सिखाना था इसलिए उन्होंने सिर्फ 12 कलाओं की लीलाएं करी थी, लेकिन वे जब कृष्ण बनकर आए तो उन्होंने अपनी पूर्ण 16 कलाओं में लीलाएं की। और भगवान की सबसे प्रमुख लीला होती है माधुर्य भाव की, माने प्रेम सबसे ऊपर होता है। जिसके वश में खुद भगवान होते है। इसलिए भगवान श्री कृष्ण और श्री राम में कोई अंतर है ही नहीं। यहां तक कि जैसा रूप भगवान श्री राम का था वैसे ही रूप भगवान श्री कृष्ण का है। उनके रूप में ही लेश मात्र का अंतर नहीं है, बाकी की बात तो छोड़ ही दो। इसलिए जो भगवान राम है वे ही भगवान श्री कृष्ण है।  और संतो का ऐसा कहना भी है कि भगवान के अवतारों में कभी भी भेद नहीं करना चाहिए।









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